भोपाल। 'हर हर मोदी' मंत्र के मामले में नगरीय निकाय मंत्री कैलाश विजयर्गीय ने अपने बयान के समर्थन में एक बार फिर नई पोस्ट जारी की है। अपनी एफबी वॉल पर उन्होंने लिखा है कि 'हर हर मोदी' पर आपत्ति उठाई जा रही है, लेकिन जब अटलजी ने इंदिरा गांधी को दुर्गा कहा था तब धर्म के ठेकेदारों ने आपत्ति क्यों नहीं उठाई।
श्री कैलाश जोशी ने अपनी एफबी वॉल पर लिखा है कि:—
पिछले कुछ दिनों से एक नारा देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है “हर हर मोदी-घर घर मोदी”!
पहले कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह (जिनकी राजनीतिक दुकान नरेन्द्र मोदी के विरोध पर ही चलती है), फिर पूज्य शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी ने इस पर आपत्ति ली. यह बीजेपी के उत्साही कार्यकर्ताओं द्वारा दिया गया स्लोगन है जो कि देश भर में लोकप्रिय हो गया है, यद्यपि यह बीजेपी का ऑफिसियल स्लोगन नहीं है फिर भी इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश की गयी.
जब अटलजी ने इंदिरा गाँधी जी को दुर्गा कहा था तब धर्म के ठेकेदार कहाँ थे...? जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सोनिया गाँधी को पोस्टर्स में दुर्गा दिखाया तब दिग्विजय जी क्यूँ चुप रहे...? दक्षिण भारत में जय ललिता, रजनीकांत, चिरंजीवी आदि फिल्म अभिनेताओं के मंदिर हैं उन पर धर्माचार्य चुप क्यूँ है...? कुछ साल पहले बीएसपी के लोग नारा लगाते थे ‘राम से ऊपर काशी राम’ तब लोग चुप क्यूँ रहे...?
मेरा मानना है कि राजनीति में धर्म होना चाहिए लेकिन अगर धर्म में राजनीति आ गयी तो यह न धर्म के लिए ठीक है न राजनीति के लिए!