राकेश दुबे@प्रतिदिन। बहुत विचार विमर्श के बाद आडवाणी केशव कुञ्ज पहुंचे एक घंटे में एक बात का वादा करके लौटे कि “बातचीत जारी रहेगी और संघ के एजेंडे में मदद करेंगे |” यह संघ के प्रचार प्रमुख की और से जारी बयान का अर्थ निकलता है|
पंक्तियों के बीच वो सब छिपा है जो घंटे भर में कहा गया और सुना गया है| देश की वर्तमान दशा और दिशा को लेकर दोनों ही ओर जो कहा-सुना गया उसमें देरी के कारण जग हंसाई तो हो ही चुकी थी, अब आगे कुछ और न बिगड़े इस हेतु इस बैठक को “आपदा-प्रबंध” से अधिक कुछ और नहीं कहा जा सकता| ख़ैर ......
शरद यादव के बदले एनडीए के अध्यक्ष पद की जवाबदारी बरनाला को सौपनें में आडवाणी से सलाह नहीं ली गई, उन्हें एक निमन्त्रण और यह सूचना एक साथ मिली कि आगामी 23 जून को उन्हें नरेंद्र मोदी के साथ माधोपुर [पठानकोट] में रहना है ,वहीं से लोकसभा 2014 के चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत होना है विकल्पहीनता में यह स्वीकारोक्ति भी करना पड़ी|
सवाल आडवाणी से नहीं उनके सलाहकारों से है की ऐसी सलाहें न तो आडवाणी के हित में हैं और न भाजपा के हित में, देशहित तो बहुत दूर की बात है| रूपये की कीमत गिरती है,लेकिन शक्ल नहीं बदलती| अक्ल से रुपया मजबूत होकर कभी डालर को भी कमजोर कर देता है|