जाम में एंबुलेंस फंसी तो अपराध माना जाएगा: हाईकोर्ट | NATIONAL NEWS

इलाहाबाद। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शनिवार को एक याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार को राज्य में यातायात और चिकित्सा सुविधा से जुड़े कई निर्देश जारी किये। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि अब जाम में ऐंबुलेंस फंसी तो इसे अपराध माना जाएगा और मरीज को नुक्सान पहुंचाने के तहत कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि ऐसे कई आयोजन होते हैं जिसमें ऐंबुलेंस जाम में फंस जाती है। कई बार वीआईपी के लिए रोड ब्लॉक की जाती है और ऐंबुलेंस को भी रास्ता नहीं दिया जाता। शनिवार को स्नेहलता सिंह और राजकुमार सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस अजीत कुमार की खंडपीठ ने इस संबंध में आदेश जारी किये हैं।

कोर्ट ने कहा है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि ट्रैफिक जाम में फंसने के कारण किसी मरीज की जान ना जाए। अपने आदेश में खण्डपीठ ने ट्रैफिक जाम की समस्या से लोगों को निजात दिलाने के लिए जिले वार यातायात जागरुकता अभियान चलाने के निर्देश दिये हैं। कोर्ट ने कहा है कि अक्सर ट्रैफिक में ऐम्बुलेंस के फंसने जैसे मामले सामने आते हैं ऐसे में इसे रोकने के लिए लोगों को जागरुक करने की जरूरत है। सरकार को निर्देश देते हुए अदालत ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि ट्रैफिक सिग्नलों पर ऐम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को किसी बाधा का सामना ना करना पड़े। इसके साथ ही अतिक्रमण और सड़क पर पार्किंग की व्यवस्था को भी प्रभावी ढंग से हल किया जाए। 

गलत पार्किंग पर लगाया जाए भारी जुर्माना
कोर्ट ने कहा कि अगर जाम में किसी एंबुलेंस के फंसने से मरीज को नुकसान पहुंचता है तो इसे अपराध की तरह देखा जाए और उसी के अनुसार कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने कहा कि रिहायशी और व्यावसायिक इलाकों में जहां लोग पार्किंग ना होने के कारण अपनी गाड़ियां सड़कों पर खड़ी करते हैं वहां वाहन पार्क करते हैं वाले व्यक्ति की जिम्मेदारी तय कर उस पर भारी जुर्माना लगाया जाए। तत्काल ऐसे नियम बनाए जाएं जिससे पार्किंग का स्थान ना होने की स्थिति में वाहन का पंजीकरण ही ना किया जाए। 

कराया जाए डेडिकेटेड कॉरिडोर का निर्माण
कोर्ट ने कहा कि सरकार प्रदेश में डेडिकेटेड कॉरिडोर बनाने के लिए तत्काल कदम उठाए जिससे लोगों को बिना किसी बाधा के चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सके । कोर्ट ने सरकार को जिला और ब्लॉक स्तर पर नियमित कमिटी बनाने के भी निर्देश दिए और कहा कि इस कमिटी में आम लोगों को भी शामिल किया जाए। कमिटी अपने इलाके में चिकित्सा केंद्रों की मॉनिटरिंग करेगी। 

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