MPPSC: अनुमान आधारित सवाल पूछता है, तुक्के लगाकर कोई भी पास हो सकता है

इंदौर। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा में पूछे जाने वाले सवालों को लेकर उठा विवाद बढ़ने लगा है। 2014 से 2017 तक आयोग को हर वर्ष प्रारंभिक परीक्षा के पेपर से सवालों को डिलीट कर रिजल्ट तैयार किया है। आयोग ने 2014 में तीन, 2015 में पांच और 2016 में एक प्रश्न डिलीट कर रिजल्ट घोषित किया था। इस साल परीक्षा में पूछे गए सवालों में से चार को डिलीट करने की नौबत बन गई है। परीक्षार्थियों का सीधा अारोप है कि आयोग का फॉर्मेट ही गलत है। आयोग अनुमान आधारित सवाल पूछ रहा है। तुक्के लगाकर कोई भी पास हो सकता है। इस साल आयाेजित परीक्षा में शामिल परीक्षार्थियों ने गुरुवार को पेपर में गड़बड़ी को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई है।

परीक्षार्थियों का कहना है कि इस साल राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा में 10 से 15 प्रश्न गलत हैं। इनमें से कुछ प्रश्न तो ऐसे हैं जिन्हें हटाना ही पड़ेगा। उनका आरोप है कि आयोग जानबूझकर ऐसे सवालों को शामिल करता है ताकि उसे प्रश्नों को हटाना पड़े। गुरुवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत दर्ज कराने पहुंचे परीक्षार्थियों के अनुसार उन्होंने शासन से मांग की है कि आयोग की परीक्षाएं त्रुटि रहित हों। इस साल प्रारंभिक परीक्षा के लिए करीब 1.83 लाख आवेदन आए थे। 

विशेषज्ञों की टीम चेक करेगी आपत्तियां 
उधर, आयोग ने स्पष्ट किया है कि मॉडल आंसर-की जारी करना एक रुटीन प्रक्रिया है। प्रोवीजनल मॉडल आंसर-की को लेकर विवाद खड़ा करना गलत है। आयोग के डिप्टी सेक्रेटरी दिनेश जैन के अनुसार प्रोवीजनल मॉडल आंसर-की के आधार पर जो आपत्तियां आती हैं, उसे आयोग विशेषज्ञों के सामने रखता है। विशेषज्ञों की यह टीम आपत्तियों को चैक कर दूर करती है उसके बाद फाइनल आंसर-की जारी की जाती है। 

ऐसे सिलेक्ट किए जाते हैं पेपर के लिए प्रश्न 
आयोग के अधिकारियों के अनुसार परीक्षा के लिए अलग-अलग विषयों के चार से पांच विशेषज्ञ कई प्रश्न तैयार करते हैं। इसके बाद सभी प्रश्नों को एकजाई कर रेंडम तरीके से चुना जाता है। फिर प्रश्नों के सेट बनाए जाते हैं। पूरी प्रक्रिया में आयोग का कोई भी अधिकारी प्रश्नों को नहीं देखता है। अधिकारियों का कहना है कि आयोग का काम केवल परीक्षा कराना है। पेपर विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए जाते हैं। 

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