विकास तिवारी/भोपाल। राज्य के नए संविदा भर्ती नियमों में संशोधन के प्रस्ताव पर मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने पेंच लगा दिया है वहीं सामान्य प्रशासन विभाग (GDA) अपने प्रस्ताव के अनुसार संशोधन पर अड़ा है। इसलिए अब इस मामले को सुलझाने के लिए राज्य सरकार मंत्रिपरिषद में जाएगी। राज्य सरकार ने हाल ही में राज्य के सरकारी महकमों के लिए नए संविदा भर्ती नियम जारी किए थे। लेकिन इन नियमों के तहत संविदा पदों पर भर्ती के लिए पहले उस पद को संविदा घोषित करने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाना पड़ता है।
उसके बाद उस पद पर नियुक्ति की जा सकती है। इसके चलते हर पद के लिए सरकार को कैबिनेट में प्र्रस्ताव रखना पड़ रहा है। इसलिए राज्य शासन इसमें संशोधन करना चाहता है। नया प्रस्ताव यह है कि राज्य में नियमित सीधी भर्ती और पदोन्नति से भरे जाने वाले चतुर्थ श्रेणी से लेकर प्रथम श्रेणी तक के हर पद के एक वर्ष तक रिक्त रहने की स्थिति में उस पद को संविदा पद घोषित किए बिना वहां संविदा नियुक्ति की जा सके। इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षतावाली छानबीन समिति और जिस विभाग का प्रस्ताव है उस विभाग के प्रमुख सचिव की सदस्य वाली समिति के समक्ष ही प्रस्ताव रख वहां संविदा भर्ती की अनुमति दे दी जाए।
लोक सेवा आयोग ने ऐसे लगाया पेंच
इस प्रस्ताव पर पहले वित्त विभाग विभाग राजी नहीं था लेकिन जीएडी ने वरिष्ठ सचिव समिति की बैठक का हवाला दिया तो वित्त विभाग इस पर राजी हो गया। विधि विभाग भी इस प्रस्ताव पर सहमति दे चुका है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस नीतिगत मामले में मध्यप्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग से भी उनका अभिमत मांगा था। लेकिन पीएससी ने इसमें पेंच लगा दिया है। पीएससी का कहना है कि इस संशोधन को केवल तृतीय और चतुर्थ श्रेणी तक ही सीमित रखा जाए। प्रथम और द्वितीय श्रेणी पर यह लागू नहीं किया जाए। साथ ही तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के जिन पदों पर संविदा भर्ती की जाना हो तो उसके लिए बनी छानबीन समिति में पीएससी के सदस्य को भी शामिल किया जाए।
पहले वित्त विभाग ने भी किया था इंकार
संविदा भर्ती नियम जारी होने के बाद जब नियम में संशोधन का प्रस्ताव बनाया गया तो वित्त विभाग ने भी इस पर असहमति जताई थी। वित्त विभाग का मानना था कि यदि नियमों में यह संशोधन किया गया तो विभागों में संविदा भर्तियों की बाढ़ आ जाएगी। वित्त विभाग ने इस प्रस्ताव को लागू करने से इंकार कर दिया था।
सामान्य प्रशासन विभाग राजी नहीं
जीएडी के प्रस्ताव में पीएससी ने जो पेंच लगाया है उस पर सामान्य प्रशासन विभाग राजी नहीं है। विभाग का मत है कि नियम सभी पर समान रूप से लागू किए जाए। जीएडी इसके लिए पीएससी के मेंबर को भी शामिल करने पर सहमत नहीं है। इसलिए अब इस मामले में मंत्रिपरिषद अंतिम निर्णय लेगी।