मप्र के 86% कर्मचारी सीएम शिवराज सिंह से नाराज: सर्वे रिपोर्ट | MP NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश में सीएम शिवराज सिंह चौहान की तीसरी पारी खत्म होने को है। इस दौरान उन्होंने कई काम किए। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान का दावा है कि दिग्विजय सिंह शासनकाल में कर्मचारियों को समय पर वेतन तक नहीं मिलता था परंतु शिवराज सिंह सरकार में केंद्र के साथ ही प्रदेश के कर्मचारियों को भी भत्ते और दूसरे लाभ दिए गए। बावजूद इसके मप्र के कर्मचारी शिवराज सिंह सरकार से नाराज हैं। भोपालसमाचार.कॉम के आॅनलाइन सर्वे में यह निर्णय सामने आया। 

सीएम शिवराज सिंह ने हाल ही में कर्मचारियों के हित में कई निर्णय लिए। इसी के चलते इस सर्वे का आयोजन किया गया। यह आॅनलाइन सर्वे कुल 39000 पाठकों तक पहुंचा जिसमें से 3700 कर्मचारियों ने वोट किए। 
सवाल था: कर्मचारी समाज सीएम शिवराज सिंह से अब संतुष्ट है ?
86 प्रतिशत कर्मचारियों ने जवाब दिया कि वो संतुष्ट नहीं हैं। 
14 प्रतिशत कर्मचारियों ने 'संतुष्ट हैं' को वोट किया।

सर्वे का उद्देश्य क्या था
इस आॅनलाइन सर्वे का उद्देश्य था, कर्मचारियों का मूड और उनकी परेशानियों को जानने की कोशिश करना। ताकि वो सीएम शिवराज सिंह तक सीधे पहुंच सकें और उसमें कोई मिलावट ना हो। जिस तरह की प्रतिक्रियाएं आईं हैं, समझा जाता है कि कोई कर्मचारी नेता शामिल नहीं हुआ जो स्थितियों को बदलकर पेश करता। आम कर्मचारी ने अपना दर्द साझा किया है।

कर्मचारियों ने अपनी नाराजगी का कारण भी बताया। सभी प्रतिक्रियाएं पढ़ने के लिए आप सर्वे पेज पर जा सकते हैं (यहां क्लिक करें)। हम यहां कर्मचारियों की नाराजगी के कुछ प्रमुख कारण दर्ज कर रहे हैं, जो उन्होंने सर्वे में भाग लेने के बाद प्रतिक्रिया के रूप में दर्ज किए। 



  कर्मचारियों ने गिनाए नाराजगी के कारण
Rizwan Khan: आजीविका मिशन के कर्मचारियों अधिकारियों का शोषण हुआ है। पहले बेसिक में थे, फिर ग्रेड पे में लाए गए और अब मानदेय में कर दिए गए।
Rajkumar Kushwah: बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है और खासतौर पर हम मध्य प्रदेश के पुलिस कर्मचारी जिन लोगों की कोई सुन ही नहीं रहा। 
Neeraj Yadav मध्यप्रदेश के सभी रोजगार सहायक इतनी मेहनत और ईमानदारी के साथ काम कर रहे है। सरकार की हर योजना को सफल बनाने एवं पंचायत राज को मजबूत करने मे कोई कसर नही छोड़ रहे लेकिन मामा को अपने प्यारे मेहनती भांजों ,भांजीयो की कोई फिक्र नही है। 

Lokesh Kumar अतिथि शिक्षको का शोषण हो रहा मध्यप्रदेश में। मनरेगा के मजदूरो से भी कम वेतन मिलता है। मात्र 2400 रूपये माह। 
Sandeep Chaturvedi बजट का अभाव बताकर अहमी मामा ने गत वर्ष 2016 में, समान कार्य समान वेतन लागू करने हेतु किये गये हड़ताल के ठीक 10 दिन बाद हजारों संविदा स्वास्थ्य कर्मियों को निश्कासित कर दिया।
हितेश गुरगेला: श्रम विभाग नाम का बना रखा है कितने आवेदन दे दिए आज तक जवाब नही.......टोटल असन्तुष्ट। 
Niraj RajPurohit: बिल्कुल नही वन विभाग की मांग भी नही मानी ना ही उन्हे बत्ती दी जिसके वो हकदार थे। ना पदोन्नति में आरक्षण खत्म कर रहे है।

Neeraj Singh Yadav: शिवराज कभी भी कर्मचारियो का शुभचिंतक नही हो सकता। 
पेंसनरो का शोषणकर्ता है। 3%DA सातवाँ वेतन आयोग भी नही देगा ये मुख्यमंत्री। कर्मचारियों को इनके मंत्री कामचोर कहते है। 
Sunil Waluskar: खास कर मप्र के लिपिक वर्गीय कर्मचारी इतना अधिक नाराज है कि शिवराज का मुंह तक नही देखाना चाहते है। लिपिक कर्मचारी इस बार काले चोर को वोट देगें पर शिवराज को नही। खास कर अधिकांश कर्मचारी वेतन विसंगती को लेकर ज्यादा नाराज हैं। 
Akhlesh Jha: वाटरशेड सचिव तो इस सरकार का विरोध करते हैं।
Ramesh Sharma माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद अहंकारी भाषा " माई के लाल "

सरकार के समर्थन में आईं ये प्रतिक्रियाएं
Santosh Verma: कांग्रेस सरकार के टाइम में किसी भी कर्मचारी को क्या मिला था Bjp के टाइम में पूरी तरह सरकारी कर्मचारी संतुष्ट है फिर भी उसकी संतुष्टि नहीं हो पा रही है सरकारी कर्मचारी जितना काम नहीं करते उस से 4 गुना ज्यादा तो सैलरी ले रहे हैं 1 दिन मेहनत मजदूरी करके देख ले सब मालूम पड़ जाएगा संतुष्ट है या संतुष्ट है। 

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