मप्र के 47 जिलों में CMHO नहीं, भगवान भरोसे स्वास्थ्य सेवाएं | MP NEWS

भोपाल। सरकारी विभागों में प्रमोशन में रोक लगने से प्रदेश का हेल्थ सिस्टम गड़बड़ा गया है। ऐसे में राज्य सरकार को 47 जिलों में प्रभारी सीएमएचओ के भरोसे स्वास्थ्य सेवाएं संचालित करना पड़ रहा है। सहायक संचालक से संयुक्त संचालक स्तर के अधिकारियों का काम भी प्रभार से चलाया जा रहा है। प्रमोशन में आरक्षण दिए जाने को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इससे विभागों में प्रमोशन नहीं हो रहे हैं। एक जानकारी के अनुसार 20 हजार से अधिक कर्मचारी व अधिकारी बिना प्रमोशन के सेवानिवृत्त हो चुके हैं। 

अब  सरकार के सामने अफसरों की भारी कमी हो गई है। स्वास्थ्य विभाग में सिविल सर्जन और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों के पद बड़ी संख्या में खाली हो गए हैं। इससे निबटने के लिए राज्य सरकार ने प्रभारी अधिकारी नियुक्त किए हैं। हेल्थ सिस्टम को सुधारने के लिए विभाग ने 4 मार्च 2016 को गजट नोटिफिकेशन किया। इसके द्वारा संयुक्त संचालक संवर्ग अन्तर्गत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, संचालक राज्य प्रशिक्षण एवं प्रबंध संस्थान, प्राचार्य क्षेत्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रशिक्षण केन्द्र सहित 73 पद तथा सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक के 57 पद मंजूर हुए थे। इन पदों में क्षेत्रीय संचालक कार्यालय एवं संचालनालय में संयुक्त संचालक के पद भी शामिल हैं। यह मामला विधानसभा में उठा है।

दो साल से अटकी पदोन्नति: 
स्वास्थ्य विभाग में दो साल से पदोन्नति की कार्रवाईअटकी है। कोर्ट के  निर्णय उपरांत ही पदोन्नति की कार्यवाही होगी। इसके सरकार के पास ऐसा कोई जवाब भी नहीं कि पदोन्नति कब होगी।

JD के मात्र 26 पद भरे
जहां मैदानी अफसरों में भारी कमी आ गई है तो दूसरी ओर संभागीय और राज्य स्तर के कार्यालयों में अधिकारियों का संकट है। प्रदेश में संयुक्त संचालक संवर्ग में कुल 130 पद स्वीकृत हैं लेकिन 26 अधिकारी ही कार्यरत हैं। इन अधिकारियों की पदस्थापना संचालनालय क्षेत्रीय संचालक कार्यालय एवं सीएमएचओ, सीएस पदों पर की जाती है। इसी तरह जिला स्तर पर चार अधिकारी और शेष 22  अधिकारी क्षेत्रीय संचालक कार्यालयों, प्रशिक्षण केन्द्र एवं संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं आदि कार्यालयों में कार्यरत हैं।

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