UGC ने प्रोफेसरों की सीधी भर्ती के नियम बदले | EMPLOYMENT NEWS

इंदौर। यूजीसी ने प्रोफेसरों की सीधी भर्ती, प्रमोशन और नियुक्ति से जुड़े नियम सख्त कर दिए हैं। माना जा रहा है कि 2021 के बाद बगैर पीएचडी वाले आवेदक असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं बन सकेंगे। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। वहीं नेट क्लियर वाले एसोसिएट प्रोफेसरों का भी प्रमोशन रोक दिया है। यूजीसी ने साफ कर दिया कि 1 जुलाई 2021 के बाद एसोसिएट प्रोफेसर का प्रमोशन भी पीएचडी के आधार पर किया जाएगा।

नए नियम पर यूजीसी ने 28 फरवरी तक शिक्षक संगठन और विश्वविद्यालयों से राय मांगी है। उसके बाद नोटिफिकेशन किया जाएगा, जो 1 जनवरी 2016 से लागू होगा। अधिसूचना के बाद केंद्रीय विवि में नियम अपनाए जाएंगे जबकि प्रदेश स्तरीय विवि में लागू होने से पहले प्रस्ताव को समन्वय समिति में रखा जाएगा। यूजीसी ने 84 पेजों का नोटिस निकाला है। इसके अलावा नेट क्लियर उम्मीदवारों को पीएचडी के लिए मिलने वाली 3-6 लाख की मदद भी घटा दी है। बगैर पीएचडी वाले शिक्षकों के इन्क्रीमेंट बंद कर दिए गए हैं। इसका नुकसान ज्यादातर विवि और कॉलेजों के लेक्चरर पर पड़ेगा।

पीएससी से बन सकेंगे प्राचार्य
कॉलेजों के प्राचार्य अब वरिष्ठता के आधार पर नहीं बनाए जाएंगे। इसके लिए पीएससी से चयन होगा। चयनित होने के बाद भी कार्यकाल सिर्फ पांच साल का रहेगा। हालांकि कॉलेज मैनेजमेंट चाहे तो पांच साल का एक्सटेंशन मिल सकेगा। इसके बाद अन्य प्रोफेसरों को मौका दिया जाएगा।

मौजूदा व्यवस्था के तहत कई प्रोफेसर 20-20 साल से प्राचार्य बने हुए हैं। यूजीसी ने इस प्रथा को भी खत्म करने की कोशिश की है। 65 वर्ष की आयु के बाद रिटायर होने वाले प्रोफेसर को थोड़ी राहत जरूर मिली है। वे और पांच साल काम कर सकेंगे। मगर उनकी नियुक्ति संविदा (कॉन्ट्रैक्चुअल) होगी।

सात घंटे मुख्यालय पर रहना जरूरी
नए नियम में कॉलेज और विवि के फैकल्टी की सेवाओं पर ज्यादा जोर दिया है। यूजीसी ने नियम लागू होने के बाद फैकल्टी को सात घंटे मुख्यालय पर रहना अनिवार्य कर दिया है। फिलहाल ग्रामीण इलाकों के कॉलेजों में कई प्रोफेसर अपने शहर से अप-डाउन करते हैं, जिस पर रोक लगाने की कोशिश की गई है।

रिसर्च पेपर और कॉन्फ्रेंस का फायदा
प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की सीधी भर्ती के नियम भी कड़े कर दिए गए हैं। यूजीसी ने रिसर्च पेपर और कॉन्फ्रेंस को ज्यादा महत्व दिया है। प्रोफेसर की सीधी भर्ती में आवेदक के 120 अंक अनिवार्य किए गए हैं जबकि एसोसिएट प्रोफेसर के लिए 75 अंक होना जरूरी है।

लग सकते हैं छह महीने
28 फरवरी तक समीक्षा करने के बाद यूजीसी प्रारूप में संशोधन करेगा। उसके बाद नोटिफेकेशन निकाला जाएगा। माना जा रहा है कि प्रदेश स्तरीय विवि में लागू होने में कम से कम छह महीने का समय लग सकता है। कारण यह है कि नए नियम से हजारों प्रोफेसरों पर असर पड़ेगा, जो इन पर आपत्ति भी लेंगे।

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