भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति में सिंधिया राजघराने का दखल मप्र की स्थापना के समय से ही चला आ रहा है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने आरएसएस के लिए अपना खजाना लुटाया तो भाजपा उनकी पूजा करती है परंतु जब बात माधवराव सिंधिया या ज्योतिरादित्य सिंधिया की आती है तो भाजपाईयों को 1857 याद आ जाता है। अटेर चुनाव में खुद सीएम शिवराज सिंह ने इसे मुद्दा बनाया था। इस बार भी मैदान में ज्योतिरादित्य सिंधिया ही हैं लेकिन अब भाजपा की तरफ से 1857 के क्रांतिकारियों को याद नहीं किया जाएगा। ना कोई लक्ष्मीबाई की कहानी सुनाएगा और ना ही सिंधिया को गद्दार कहा जाएगा, क्योंकि सिंधिया राजपरिवार की सदस्य यशोधरा राजे सिंधिया को कोलारस का चार्ज सौंप दिया है।
कोलारस उपचुनाव के लिए बीजेपी प्रत्याशी के नामांकन में शामिल होने पहुंचीं यशोधरा राजे से जब अपनों से मुकाबले के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये मुकाबला अपनों का नहीं कांग्रेस-बीजेपी का है। यशोधरा ने कहा कि ये संसदीय चुनाव नहीं है ये विधानसभा उपचुनाव है। ये पूरा क्षेत्र राजमाता का है, मैं जब छोटी थी तब भी राजमाता के साथ यहां आती थी। यहां से बीजेपी के प्रत्याशी कई बार जीते हैं। इस बयान के बाद स्पष्ट हो गया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया पर व्यक्तिगत हमला नहीं किया जाएगा।
क्या हुआ था पिछली बार
अटेर विधानसभा के उपचुनाव में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने राजे रजवाड़ों के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने खुलकर कहा था कि सिंधिया ने अंग्रेजों के साथ मिलकर लोगों की पीठ पर कोड़े मारे। इसे लेकर काफी विवाद हुआ। यशोधरा राजे सिंधिया कोपभवन में चली गईं। उन्होंने खुद को शिवपुरी विधानसभा तक सीमित कर लिया और सीएम शिवराज सिंह से उनकी नाराजगी साफ दिखाई दी। यहां तक कि उन्होंने राष्ट्रीय पर्व पर ध्वजारोहरण करने से भी इंकार कर दिया। इसके इतर भाजपा के कई दिग्गजों ने सीएम के बयान का समर्थक करते हुए बार बार दोहराया कि इतिहास को बदला नहीं जा सकता। बयानों में उन्होंने सिंधिया को गद्दार कहा और कई कहानियां भी सुनाईं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। भाजपा इतिहास की उस किताब को एक महीने तक बंद करके ही रखेगी।