भोपाल। राज्य सरकार ने महिला एवं बाल विकास विभाग के दोनों संचालनालय एकीकृत बाल विकास परियोजना और महिला सशक्तिकरण को फिर से एक कर दिया है। राज्य कैबिनेट ने मंगलवार को महिला एवं बाल विकास विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सरकार का विभाग में दो संचालनालय बनाने का अनुभव खराब रहा है, क्योंकि पांच साल में पूरक पोषण आहार व्यवस्था दुरुस्त होने की बजाय समस्याएं बढ़ गई हैं। मैदानी स्तर पर समन्वय की कमी दिखाई देने लगी है। इन पांच सालों में महिला सशक्तिकरण का परफॉर्मेंस अच्छा नहीं रहा।
2012 में बदली थी व्यवस्था:
वर्ष 2012 में पूरक पोषण आहार व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए एकीकृत बाल विकास परियोजना और महिला सशक्तिकरण के अलग-अलग संचालनालय बनाए गए थे। तब अफसरों का तर्क था कि दो संचालनालय होंगे तो मैदानी स्तर पर जिम्मेदारी बंटेगी और पूरक पोषण आहार व्यवस्था में सुधार आएगा। नई व्यवस्था से सिर्फ विभाग के सौ सहायक संचालकों को फायदा हुआ। उन्हें उप संचालक के पद पर पदोन्नति दे दी गई।
वात्सल्य भवन में लगेगा दफ्तर:
दोनों संचालनालयों को एक करने के बाद विभाग का संचालनालय वात्सल्य भवन में लगेगा। फिलहाल महिला सशक्तिकरण संचालनालय पर्यावास भवन में लगता है।
SDM को राहत राशि स्वीकृत करने के अधिकार:
प्राकृतिक आपदा में राहत राशि स्वीकृत करने का अधिकार अब एसडीएम और एसडीओ दिए गए हैं। अभी तक 4 लाख रुपए तक की राहत राशि के अधिकार कलेक्टर को दिए गए थे, लेकिन अब यह अधिकार एसडीएम और एसडीओ को देने के राजस्व विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। अभी तक एसडीएम के पास 50 हजार रुपए तक की राहत राशि स्वीकृत करने के अधिकार थे।
ये फैसले भी हुए
राजस्व पुस्तक परिपत्र की धारा 6 (4) में संशोधन किया गया है। जिसके तहत ओलावृष्टि से 50% या इससे अधिक संचित फसल खराब होने पर राहत राशि 30 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर दी जाएगी।
विधि एवं विधायी विभाग के प्रस्ताव पर सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की संविदा नियुक्ति देने को मंजूरी मिली।
मंत्रालयीन कर्मचारियों की लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करते हुए सहायक ग्रेड एक का पदनाम बदलकर सहायक अनुभाग अधिकारी किया गया है।
चार नई तहसीलों के गठन को मंजूरी दी गई।