करोड़पतियों की पत्नियां शान से पहनतीं थीं GITANJALI के नकली हीरे | BUSINESS NEWS

मुंबई। GITANJALI GEMS के पूर्व प्रेसिडेंट और एमडी संतोष श्रीवास्तव ने मेहुल चौकसी की धोखाधड़ी के बारे में सोमवार को कई खुलासे किए। उन्होंने दावा किया कि चौकसी ने सिर्फ PUNJAB NATIONAL BANK के साथ ही फ्रॉड नहीं किया, बल्कि कस्टमर और उसका ब्रांड बनाने में मदद करने वाली सेलिब्रिटीज को भी शिकार बनाया। संतोष का कहना है कि देश भर के कई करोड़पति कारोबारी, ताकतवर नौकरशाह और प्रभावशाली नेताओं की पत्नियां बड़े ही शान से मेहुल के FAKE DIAMONDS पहनतीं हैं और सोसायटी में बताती भी हैं कि ये हीरा उन्होंने गीतांजलि जेम्स से लिया। इसके फ्रॉड का शिकार होने वालों में संगीतकार हिमेश रेशमिया भी शामिल है। उन्हें एक टीवी विज्ञापन करने के एवज में हीरे दिए थे लेकिन असल में उनकी कीमत बताई गई कीमत से 10 गुना कम थी। 

संतोष श्रीवास्तव ने ये खुलासे रिपब्लिक टीवी को दिए इंटरव्यू में किए। उन्होंने दावा किया कि ऐसे कई मौके उनके सामने आए जब कस्टमर को नकली और कम कीमत के हीरे दिए गए। उदाहरण के लिए एक कस्टमर को एक हीरा 50 लाख में दिया गया। असल में यह गीतांजलि के लिए इसकी लागत 2000 से 3000 रुपए थी। वह असली और नकली हीरे की मिक्सिंग कर ऐसा करता था। 

उन्होंने बताया कि मैं प्राइस तय करने के मामले से सीधा नहीं जुड़ा था, लेकिन ये सब मेरी जानकारी में आता था। मैंने कई बार इन मामलों को मेहुल चौकसी के सामने उठाया, लेकिन उन्होंने कहा कि यह तुम्हारा बिजनेस नहीं है। तुम अपने काम से काम रखो। संतोष ने बताया- "मैंने गीतांजलि ग्रुप में 2009 से 2013 काम किया। इस दौरान कई संदिग्ध गतिविधि देखीं।

हिमेश रेशमिया को कैसे ठगा?
उन्होंने बताया- "हिमेश रेशमिया से टीवी कर्मिशयल के बदले 50 लाख के हीरे देने का वादा किया गया था। रेशमिया ने जब इन्हें बाहर बाजार में क्रॉस चेक कराया, तो उसकी वैल्यू काफी कम थी। ऐसा एक नहीं बल्कि कई और सेलिब्रिटीज के साथ किया गया।

Round Triping से ठगता था
श्रीवास्तव ने आरोप लगाया- "वह विदेशों में बिना तराशे हीरे खरीदता था। फिर इन्हें भारत लाता था। यहां तराश कर वापस विदेश ले जाकर बेच देता था। यह पूरा काम वह फेक कंपनियों के जरिए करता था। बिना तराशा हीरा खरीदने के लिए लोन लेता था। फिर बेचने के लिए भी ऐसा करता था। यह काम वह टैग चेंज कर, फर्जी बिल बनाकर और लोन लेकर करता था। इस दौरान वह हीरे की कीमत को 10 गुना तक बढ़ा देता था।

बनते थे फर्जी बिल
उन्होंने बताया कि "कंपनी का जोर फ्रेंचाइजी बिजनेस पर था। इसमें 10 रुपए के सामान की वेल्यू 500 रुपए दिखाकर बिल जनरेट किए जाते थे। करोड़ों की राशि फर्मों से ली जाती थी। इसको लेकर मैंने फाइनेंस मिनिस्ट्री लेकर रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी तक में शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। 2013 में मैंने इसकी शिकायत पीएमओ में की। केस आरओसी (रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी) में भेज दिया गया, लेकिन वहां से भी निराशा ही हाथ लगी। कुछ समय बाद उनके साथी हरिप्रसाद को मेल आया कि शिकायत बंद कर दी गई।

मुझे कई केस में फंसाने की कोशिश की
श्रीवास्तव ने बताया कि मुझ पर 2013 से ही प्रेशर बनाया गया, कई केसों में फंसाने की कोशिश की गई चौकसी ने इकोनॉमिक ऑफेंस विंग में शिकायत की। 2014 में आई रिपोर्ट में बताया गया कि शिकायत झूठी है। वहीं, रिपोर्ट में ईओडब्लू ने गीतांजलि कंपनी की अकाउंटिंग संदिग्ध पाई थी। मुख्य दोषी मेहुल चौकसी है। उन्होंने घोटाले की नींव रखी। बाद में नीरव ने ज्वाइन किया।"

क्या है पूरा मामला?
पंजाब नेशनल बैंक ने पिछले दिनों सेबी और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को 11,356 करोड़ रुपए के घोटाले की जानकारी दी थी। पीएनबी की मुंबई की ब्रेडी हाउस ब्रांच में यह घोटाला हुआ। शुरुआत 2011 से हुई। 7 साल में हजारों करोड़ की रकम फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स (LoUs) के जरिए विदेशी अकाउंट्स में ट्रांसफर की गई।

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