वेतन पुनरीक्षण के समय कर्मचारी की अंडरटेकिंग अमान्य: हाईकोर्ट | EMPLOYEE NEWS

जबलपुर। माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर ने श्री टंगुलाल लाल पसीने, ऑपरेटर ग्रेड-1 जल संशाधन विभाग, बालाघाट से रिटायर्ड, द्वारा वित्त विभाग एवम अन्य के विरुद्ध दायर रिट याचिका में फैसला सुनाते हुए कहा है कि श्री टंगुलाल लाल पसीने से रिटायरमेंट के बाद वसूली गई राशि की रुपये 3,08,263 कार्रवाई दो कारणों से अवैध है। पहला 30 वर्ष पूर्व किये गलत वेतन निर्धारण का संशोधन उसके पश्चात सीमित अवधि में ही किया जा सकता है। इतने लंबे अवसान के बाद, पुर्ननिर्धारण के परिणामस्वरूप, वसूली की अनुमति नही दी जा सकती है। 

कर्मचारी किसी भी प्रकार से त्रुटि के लिए उत्तरदायी नही माना गया है। अंडरटेकिंग के प्रश्न पर माननीय हाई कोर्ट द्वारा फैसला सुनाते हुए कहा गया है कि वेतन निर्धारण के समय कर्मचारी से प्राप्त अंडरटेकिंग स्वेच्छिक़ नही है, यह बाध्यकारी परिस्थितियों में लिया गया दस्तावेज है जो कि लोक नीति के विरुद्ध है। 

कर्मचारी के पास वेतन पुनरीक्षण के समय अंडरटेकिंग दस्तखत के अलावा कोई विकल्प नही होता है। अतः वसूली अवैध है एवं वसूली गई राशि 6 प्रतिशत की ब्याज की दर से 3 माह के भीतर याचिकाकर्ता को लौटाई जावे। याचिकाकर्ता की ओर से उच्च न्यायालय , जबलपुर के अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी ने पैरवी की है।

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