नई दिल्ली। रेलवे में काम करने के दौरान जान गंवाने वाले कर्मचारियों को शहीदों जैसा सम्मान दिया जाएगा। साथ ही ट्रैकमैन, पी-वे आर्टीजन स्टाफ एवं हेल्पर्स को पर्याप्त सुरक्षा उपकरण मुहैया कराए जाएंगे। रेलवे बोर्ड ने इस संबंध में सभी जोन महाप्रबंधकाें को निर्देश जारी किए हैं। निर्देशों के अनुसार स्थानीय स्तर पर एक वरिष्ठ अधिकारी दिवंगत रेलकर्मी के परिवार से मुलाकात कर कर्मचारी हित निधि कोष (एसबीएफ) से आश्रितों को तत्काल सहायता राशि देकर दिवंगत कर्मचारी को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
साथ ही वेलफेयर इंस्पेक्टर (डब्ल्यूएलआई) संबंधित रेलकर्मी के आश्रित को जब तक अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल जाती, तब तक परिवार के संपर्क में रहे और उनका सहयोग करें। एनडब्ल्यूआरईयू के महामंत्री मुकेश माथुर व उपाध्यक्ष विनीत मान ने बताया कि एआईआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने पिछले दिनों बैठक में प्रमुखता से यह मांग उठाई थी।
इसी तरह रेलवे बोर्ड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (ट्रांसपोर्टेशन) टीके पांडे ने सभी जोन महाप्रबंधकों को ट्रैकमैन, पी-वे आर्टीजन स्टाफ एवं हेल्पर्स को मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) के अनुमोदन से जरूरी सामान की आपूर्ति कराने के निर्देश जारी किए हैं। एआईआरएफ व नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एंप्लाइज यूनियन ने ट्रैकमैन, की-मैन, मेट, पैट्रोल मैन सहित समस्त आर्टीजन स्टाफ को उच्च क्वालिटी के सामान एवं भारी-भरकम सामान को कम करने की मांग थी।
ग्रुप ‘डी’ कर्मियों के पदनाम बदलेंगे, सुझाव मांगे
रेलवे बोर्ड जल्दी ही ग्रुप ‘डी’ से जुड़े पदों के नाम में बदलाव कर सकता है। इसे लेकर उसने अखिल भारतीय स्तर पर एआईआरएफ व नेशनल फेडरेशन फॉर रेलवे मेंस (एनएफआईआर) से संबंधित सभी मान्यता प्राप्त संगठनों से सुझाव भी मांगा है। यूपीआरएमएस के मंडल अध्यक्ष रमेश शर्मा व मंत्री सौरभ दीक्षित ने बताया कि पिछले वर्ष ही रेलवे बोर्ड ने तय किया था कि ग्रुप ‘डी’ कर्मचारियों के पदनामों में समरूपता लाई जाए। दरअसल रेलवे में ग्रुप ‘डी’ में खलासी, गैंगमैन गेटमैन, जमादार, कारपेंटर, सफाईवाला, हेल्पर, पोर्टर, माली, धोबी सहित अन्य पद आते हैं। इसमें से अधिकतम पदों का नाम लेने पर संबंधित कर्मचारी असहज व शर्म महसूस करते हैं। फिलहाल इन्हें मल्टी टास्किंग स्टाफ कहा जाने लगा है। लेकिन पदनामों में स्थाई बदलाव के लिए यूनियनों से 28 फरवरी तक सुझाव भेजने को कहा गया है।