क्यों लगता नहीं है, इनका दिल हिन्दुस्तान में | EDITORIAL

राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारत सरकार और राज्य सरकारें मेले लगाकर, छूट देकर देश में विदेशियों को उद्ध्योग खोलने के लिए आमंत्रित करती हैं। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोल रखे है, इसके विपरीत देश के धनकुबेर यहाँ से विदेश पलायन कर रहे हैं। प्रश्न यह है की वे क्या कारण हैं कि धनकुबेरों को इन दिनों अपना देश रास नहीं आ रहा है? वर्ष 2017 में ही 7000 धनकुबेर भारत से पलायन कर विदेशों में बस गए। वर्ष 2016 की तुलना में यह आंकड़ा 16 प्रतिशत ज्यादा है।यह आंकड़ा हर साल बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक रईसों के पलायन के मामले में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। भारत दुनिया का छठा सबसे धनवान देश है और उसकी कुल संपत्ति 8230 अरब डॉलर है। देश में 330400 लोग सर्वाधिक अमीर (एचएनडब्ल्यूआई) हैं।

न्यू वर्ल्ड वेल्थ रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्ष 7000 धनकुबेरों ने भारत छोड़ दिया। 2016 में यह आंकड़ा 6000 था, जबकि 2015 में 4000 रईसों ने भारत को अलविदा कह दिया। रिपोर्ट में हालांकि कहा गया है कि चीन और भारत से अमीरों का पलायन चिंता की बात नहीं है, क्योंकि इन देशों को जितने लोग छोड़ कर चले जाते हैं, उससे ज्यादा हर साल नए अमीर बन जाते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जैसे-जैसे इन मुल्कों का रहन-सहन का स्तर सुधरेगा, उम्मीद है कि ज्यादातर धनकुबेर यहां लौट आएंगे।पलायन के ट्रेंड को देखें तो भारतीयों की पहली पसंद अमेरिका है। उसके बाद संयुक्त अरब अमीरात, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड हैं। मजेदार बात यह है कि चीनियों की भी पहली पसंद अमेरिका ही है। उसके बाद कनाडा और ऑस्ट्रेलिया को वह अपना ठिकाना बनाते हैं। 

पूरी दुनिया की बात करें तो रईसों के पलायन के मामले में चीन पहले नंबर पर है। चीन से पिछले साल 10000 लोगों ने पलायन किया। वहीं तुर्की से 6000, ब्रिटेन से 4000 हजार, फ्रांस से 4000 और रूस से 3000 अमीरों ने पलायन किया। अरबपति की परिभाषा में ऐसे लोग शामिल होते हैं, जिनकी कुल निजी संपत्ति एक अरब अमेरिकी डॉलर या उससे ज्यादा है।रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में अरबपतियों के पलायन का ट्रेंड लगातार बढ़ा है। वर्ष 2017 में करीब 95000 अमीर अपने-अपने मुल्कों को छोड़कर दूसरे देशों में बस गए। वहीं 2016 में यह आंकड़ा 82000 था और 2015 में 64000 हजार।

विश्व में इस मामले में भारत का दूसरा नम्बर है। देश को उसकी पूंजी, श्रम और ज्ञान की इन दिनों आवश्यकता है। पलायन करने वाले अमीर अपनी सम्पदा के तरल भाग को जो कि अरबों डालर में है, ले जाकर विदेश में निवेश कर रहे हैं। केद्र और राज्य सरकारें इस पलायन को रोकने के स्थान पर अपनी ताकत दूसरी दिशा में लगा रही है। सरकार इस विषय में अपनी नीति स्पष्ट करना चाहिए और ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे यह पलायन रुके।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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