अब सरकारी नौकरियों के लिये नही रहेगी CPCT EXAM की अनिवार्यता | MP EMPLOYMENT NEWS

भोपाल। सरकारी नौकरियों के लिए सीपीसीटी परीक्षा की अनिवार्यता पर प्रदेश सरकार ने यू-टर्न ले लिया है। यह निर्णय कांग्रेस की ओर से पार्टी प्रवक्ता डॉ. संदीप सबलोक द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवाराज सिंह चौहान तथा शासन स्तर पर भेजे गए पत्र पर प्रदेश सरकार ने लिया है। इस निर्णय के बाद अब सरकारी नौकरियों के लिये सीपीसीटी परीक्षा की अनिवार्यता नही रहेगी। इस संबंध में सरकार द्वारा राजपत्र में भी अधिसूचना निकालकर संबंधित निर्देश जारी कर दिये गये है। इसके साथ ही पीएससी द्वारा पूर्व में निरस्त की जा चुकी असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा फीस आवेदकों को वापिस करने की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है। 

कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. संदीप सबलोक ने उक्त संबंध में बताया कि पिछले नवंबर माह में प्रदेष सरकार द्वारा लगभग 10 हजार पटवारियों की भर्ती की प्रक्रिया प्रारंभ की थी। इस भर्ती में कम्प्यूटर योग्यता के रूप में इंजीनियरिंग, ग्रेजुएशन, डीसीए व पीजीडीसीए के धारकों सहित इस तरह के सभी आवेदकों को कम्प्यूटर टाईपिंग के रूप में सीपीसीटी परीक्षा को पास करना अनिवार्य किया गया था। इस नियम के चलते युवा बेरोजगारों द्वारा वर्षो की मेहनत तथा हजारों रूपये की फीस देकर मान्य संस्थाओं से हासिल की गई उपरोक्त उच्च योग्यताओं  तथा सरकारी स्तर पर प्राप्त मुद्रलेखन व टाईपिंग प्रमाण पत्रो पर भी पानी फिर गया था।

सरकार की इस नीति पर मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से पार्टी प्रवक्ता डॉ. संदीप सबलोक ने विगत 13 दिसंबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र भेजकर सरकार की नियत पर सवाल उठाते हुए बेरोजगार युवाओं के शोषण को रोकने की मांग की थी। डॉ. सबलोक ने अपने पत्र में आरोप लगाया था कि सरकार द्वारा कतिपय व्यापारिक संस्था को आर्थिक लाभ देने की मंशा से सरकार द्वारा इस तरह का तुगलकी निर्णय लिया गया है जिसे तत्काल वापिस लिया जाए। मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में पीएससी द्वारा वर्ष 2014 एवं 2016 में निकाली गई असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती परीक्षा को निरस्त किए जाने के बाद आवेदकों से वसूली गई परीक्षा फीस भी वापिस कराने की मांग की गई थी।

कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. संदीप सबलोक के उक्त पत्र पर प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा यू-टर्न लेते हुए सीपीसीटी प्रमाण पत्र की अनिवार्यता के संबंध में पिछली 03 फरवरी को प्रकाशित राजपत्र में आदेश निकाल कर उक्त अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। इसके साथ ही राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती के लिए 2014 व 2016 में बुलाए गए आवेदनों की परीक्षा फीस आवेदको को वापिस लौटाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। कांग्रेस की ओर से की गई उक्त मांगो के पूरा होने से शिक्षित बेरोजगारों को बड़ी राहत मिली है। 

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