CM शिवराज सिंह ने कहा था MP से अंबानी पैदा करूंगा, 3 साल में चवन्नी तक नहीं दी | MP POLITICAL NEWS

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी घोषणाओं पर तारक मेहता से भी बड़ा सीरियल बन सकता है। ताजा एपिसोड यह है कि 2014 में सीएम शिवराज सिंह ने सीना तानकर घोषणा की थी कि मध्यप्रदेश के युवा उद्यमियों को स्टार्टअप (STARTUP) के लिए फाइनेंस उपलब्ध कराया जाएगा। कहा था कि वो मध्यप्रदेश से अंबानी पैदा करके दिखाएंगे। आनन फानन में मप्र वेंचर फाइनेंस लिमिटेड (MPVFL) का गठन भी कर दिया गया लेकिन इसके बाद कुछ नहीं हुआ। अंतत: Madhya Pradesh Venture Finance Limited के MD/CEO MPVFL Dr. SANDEEP KADWE ने इस्तीफा दे दिया। 

क्या कहा था CM SHIVRAJ SINGH ने 
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि युवा उद्यमियों के सहयोग से मध्यप्रदेश को स्टार्टअप कंपनियों का हब बनाया जायेगा। उन्होंने युवा उद्यमियों का आव्हान किया कि वे अपने बिजनेस आइडिया को मरने न दें। सरकार नवाचारी विचार और प्रयासों को वेंचर केपिटल फंड के माध्यम से प्रोत्साहित करेगी। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे अपनी शक्ति और प्रतिभा को पहचाने। सफलता अवश्य मिलेगी। उन्होंने कहा था कि मप्र में भी अंबानी पैदा हो सकते हैं। हम उन्हे मदद करेंगे। सरकार उनके साथ है। पैसों की कमी के कारण उनका टेलेंट मरने नहीं देंगे। 

इसके बाद क्या हुआ
नए आइडिया वाले स्टार्टअप को मदद के लिए 100 करोड़ का वेंचर कैपिटल फंड बनाया गया। इसके लिए 15 अक्टूबर 2014 को एमपीवीएफएल का गठन हुआ था। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी घोषणा की। सरकार ने 100 करोड़ के फंड में 20 करोड़ देना तय किया था। अब तक एक बार ऑफिस सेटअप के लिए 5 करोड़ दिए गए हैं। सरकार के फंड नहीं देने की वजह से भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और एक मल्टी नेशनल कंपनी से 20-20 करोड़ की मदद तथा बाकी 5 बैंकों ने भी 10-10 करोड़ देने से साफ इंकार कर दिया। तीन साल पहले बनी इस कंपनी से आज तक किसी भी उद्यमी को एक रुपए की मदद नहीं दी। वहीं सरकार के पास 40 स्टार्टअप के प्रस्ताव लंबित पड़े हैं, जिनमें मदद के लिए युवा उद्यमी चक्कर काट रहे हैं।

नौकरीशाही ने ऐसा उलझाया कि एमडी इस्तीफा देकर भाग गए
मप्र के युवा उद्यमियों के स्टार्टअप की मदद के लिए बने मप्र वेंचर फाइनेंस लिमिटेड (एमपीवीएफएल) के एमडी और सीईओ डॉ. संदीप कड़वे 3 सालों में कुछ नहीं कर पाए। अंतत: उन्होंने इस्तीफा दे दिया। डॉ. कड़वे का कहना है कि मैंने इस्तीफा ब्यूरोक्रेसी से तंग आकर दिया है। डॉ. कड़वे को उनकी विशेषज्ञताओं की वजह से सरकार ने कंपनी का एमडी और सीईओ बनाया था। कंपनी के एमडी और सीईओ दोनों पद छोड़ने के पहले 10 जनवरी को डॉ. कड़वे ने एक पत्र चेयरमैन और वित्त विभाग के एसीएस एपी श्रीवास्तव को लिखा था। इसमें उन्होंने तमाम दिक्कतों का जिक्र किया था। इसके बाद 23 जनवरी को उन्होंने इस्तीफा भेजा दिया, जिसमें उन्होंने ब्यूरोक्रेसी के रवैये को लेकर कई सवाल उठाए हैं। 

कौन हैं डॉ. संदीप कड़वे
डॉ. संदीप कड़वे को फाइनेंस, बैंकिंग, निवेश और वित्त से जुड़े देश के तमाम संस्थानों में काम करने का 26 साल का अनुभव है। उन्होंने कैपिटल मार्केट, प्राइवेट इक्विटी, मर्चेंट बैंकिंग, मार्केट रिसर्च, आईटी सर्विसेस जैसे क्षेत्र में काम करने का अनु‌भव है। कड़वे ने फाइनेंस और मार्केटिंग से एमबीए और इकॉनामिक्स में पीएचडी की है। डॉ. कड़वे मैकेनिकल इंजीनियर हैं। उन्हें सरकार इतनी विशेषज्ञताओं के कारण ही कंपनी का एमडी और सीईओ बनाकर लाई थी। 

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