9339 कर्जदारों ने दबा रखें हैं बैंकों के 1 लाख करोड़ | NATIONAL NEWS

नीरव-मेहुल के 11 हजार करोड़ से ज्यादा के घोटाले की हर तरफ चर्चा है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारतीय बैंकों के 1,11,738 करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज 9,339 ऐेसे कर्जदारों ने दबा रखे हैं जिन्हें विलफुल डिफॉल्टर कहते हैं, यानी जान बूझ कर कर्ज न चुकाने वाले लोग. ऐसे लोग जो कर्ज चुकाने की क्षमता रखते हैं, लेकिन चुकाने से इंकार कर रहे हैं या बच रहे हैं. इनमें सबसे ज्यादा पैसा सरकारी बैंकों का फंसा हुआ है.

 सिबिल के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार सितंबर, 2017 तक सरकारी बैंकों के 7,564 कर्जदारों ने 93,357 करोड़ रुपया दबा लिया है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार साल 2013 के 25,410 करोड़ रुपये के विलफुल डिफाॅल्ट के मुकाबले पांच साल में इसमें 340 फीसदी की बढ़त हुई है. हालांकि, रिजर्व बैंक ने अभी डिफॉल्टर्स की पूरी लिस्ट जारी नहीं की है. साल 2017 में रिजर्व बैंक ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि सार्वजनिक बैंकों के 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन डिफाॅल्ट करने वाले कर्जदारों की सूची सार्वजनिक करने के पक्ष में वह नहीं है.

रिजर्व बैंक की परिभाषा के मुताबिक विलफुल डिफाॅल्टर उसे कहते हैं जो कर्ज चुकाने की क्षमता के बावजूद किसी बैंक का कर्ज न वापस कर रहा हो. इसमें वे लोग भी शामिल होते हैं, जिन्होंने मिले कर्ज की रकम को जिस काम के लिए लिया था उसमें लगाने की जगह कहीं और लगा दिया या उसे खर्च नहीं किया, दबा के रखे हैं. इसमें ऐसे कर्जदार भी शामिल हैं जिन्होंने लोन लेने के लिए दिखाई गई प्रॉपर्टी को किसी तरह से बेच दिया. ऐसे ज्यादा मामलों मे डिफाॅल्टर कंपनियों के प्रमोटर होते हैं, जो अपनी कंपनी के माध्यम से कर्ज की रकम कहीं और लगा देते हैं.

नीरव मोदी की जालसाजी का शिकार पंजाब नेशनल बैंक भी इस मामले में पहले से काफी पीड़ि‍त है. सिबिल के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2017 तक 1018 कर्जदारों ने बैंक के 12,574 करोड़ रुपये दबा रखे हैं. पीएनबी के बड़े डिफाॅल्टर में विनसम डायमंड (899 करोड़), नाफेड (224 करोड़) और ऐपल इंडस्ट्रीज (248 करोड़) शामिल हैं.

सबसे ज्यादा डिफाॅल्टर एसबीआई में
सबसे ज्यादा 27,716 करोड़ रुपये की रकम भारतीय स्टेट बैंक की फंसी हुई है. बैंक के 1,665 डिफाॅल्टर ने यह कर्ज दबा रखा है. एसबीआई का कर्ज न लौटाने वाले डिफाॅल्टर्स में सबसे बड़ा डिफाल्टर किंगफिशर एयरलाइंस (1,286 करोड़ रुपये) है.

आईडीबीआई बैंक के 83 विलफुल डिफाॅल्टर ने 3,659 करोड़ रुपये दबा रखे हैं. बैंक ऑफ इंडिया के 314 डिफाॅल्टर ने 6,104 करोड़ रुपये दबा रखे हैं. बैंकों ने जिन डिफाॅल्टर के खिलाफ वसूली का मुकदमा दर्ज कर रखा है, सिर्फ उनके ही नाम सिबिल सार्वजनिक कर सकता है.

दस साल में 3.6 लाख करोड़ रुपये का लोन बट्टा खाता में
गौरतलब है कि पिछले 10 साल में बैंकों ने 3.6 लाख करोड़ रुपये का लोन राइटऑफ किया है, यानी उन्हें बट्टा खाता में डाल दिया है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक बैंकों का कुल एनपीए यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट इस वित्त वर्ष के अंत तक 9.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है.

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