7 बड़ी BANK से 3000 हजार करोड़ का LOAN गटक गए कोठारी | BUSINESS NEWS

BHOPAL: हीरा व्यापारी नीरव मोदी के बाद अब गिरफ्त में रोटोमैक पेन के मालिक विक्रम कोठारी हैं। रोटोमैक पेन कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी पर कई बैंकों का 800 करोड़ से ज़्यादा का चूना लगाने का आरोप लगा है। मुंबई स्थित पंजाब नेशनल बैंक की ब्रैडी हाउस ब्रांच के फर्जीवाड़े से नीरव मोदी की काली करतूतों से जो परतें हटनी शुरू हुईं तो बैंक फ्रॉड की आंच यूपी के कानपुर तक पहुंच गई। कोठारी पर बैंक ऑफ बड़ौदा समेत सात बैंकों से 3000 हजार करोड़ का कर्ज लेकर गटक जाने का आरोप है। इस रकम पर ब्याज लगाकर कर जोड़ा जाए तो कोठारी पर सात बैंकों की कुल देनदारी 3695 करोड़ रुपये बैठती है।

सीबीआई ने तीन जगहों पर छापेमारी की है। पत्नी और बेटे समेत कोठारी से सीबीआई पूछताछ कर रही है। इस मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा ने मामला दर्ज कराया है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने रोटोमैक के खिलाफ सीबीआई के पास शिकायत दर्ज कराई है। बता दें कि मीडिया में विक्रम कोठारी के विदेश भागने की ख़बरें आ रही थीं. लेकिन रविवार को वो कानपुर में एक रिसेप्शन में दिखे थे। ख़ास बात ये है कि इस रिसेप्शन में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम, बिहार के डिप्टी सीएम भी मौजूद थे। हालांकि विक्रम कोठारी सीएम योगी के आने से पहले ही वहां से निकल गए थे। सीबीआई ने  दिल्ली में मौजूद कोठारी के ठिकानों को भी सील कर दिया है।

कोठारी ने इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया समेत 7 बैंकों से लोन लिया था। सीबीआई के मुताबिक, ये घोटाला 2008 से चल रहा था। ये है लोन का विवरण: बैंक ऑफ इंडिया- 754.77 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा- 456.63 करोड़, इंडियन ओरवसीज बैंक- 771.77 करोड़, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया- 458.95 करोड़, इलाहाबाद बैंक- 330.68 करोड़, बैंक ऑफ महाराष्ट्र- 49.82 करोड़, ऑरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स- 97.47 करोड़।

इन सात बैंकों से लिया गया ये कर्ज कुल 2919.39 करोड़ रुपये है। इस लोन पर ब्याज मिलाकर ये पूरी रकम 3696 करोड़ रुपये है। कोठारी ने अब तक न ये मूलधन चुकाया है और न ही इस पर लगा ब्याज दिया है। लोन के एक साल बाद जब कोठारी ने जब लोन का मूल पैसा नहीं चुकाया और न ही कर्ज की रकम के ब्याज का ही भुगतान किया तो बैंक ने कार्रवाई शुरू कर दी।

सबसे पहले कोठारी को कर्ज देने वाले बैंकों में शामिल बैंक ऑफ बड़ौदा ने रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को पिछले साल जानबूझकर ऋणचूक करने वाला (विलफुल डिफॉल्टर) घोषित कर दिया। डिफॉल्टर सूची से नाम हटवाने के लिए रोटोमैक कंपनी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की शरण ली। जहां मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. बी. भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे सूची से बाहर करने का आदेश दे दिया। न्यायालय ने कहा था कि ऋण चूक की तारीख के बाद कंपनी ने बैंक को 300 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति की पेशकश की थी और इसे गलत तरीके से सूची में डाला गया है।

बाद में रिजर्व बैंक द्वारा तय प्रक्रिया के अनुसार एक प्राधिकृत समिति ने एक आदेश में कंपनी को जानबूझ कर ऋण नहीं चुकाने वाला घोषित कर दिया। हालांकि, इस पूरे केस में बैंक अधिकारियों की सांठ-गांठ की भी जानकारी आ रही है। आरोप ये भी है कि कोठारी ने लोन का पैसा जिस एवज में लिया था, उससे इतर दूसरे कामों में इस्तेमाल किया।

बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर सीबीआई ने रोटोमाक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर विक्रम कोठारी, उनकी पत्नी साधना कोठारी और राहुल कोठारी समेत अज्ञात बैंक अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सात बैंकों से लोन के नाम पर 2919 करोड़ का चूना लगाने की साजिश की गई है। ये सिर्फ मूल धन है, इसमें ब्याज शामिल नहीं है। ये पूरा मामला 800 करोड़ के लोन से शुरू हुआ था, जो अब 3695 करोड़ तक पहुंच गया है।


#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !