मात्र 15 मिनट में मप्र के लाखों किसान बर्बाद, 6 मौतें | MP NEWS

भोपाल। पिछले साल अक्टूबर-नवंबर के बीच किसानों ने गेहूं-चने की फसल बोई थी। खेतों में फसल लहलहा रही थी। कटाई की तैयारियां शुरू हो गईं थीं। होली तक फसल कटने लगती लेकि इससे पहले ही कुदरत का कहर बरस गया। अचानक आई आंधी, बारिश और ओलों ने खेतों को तबाह कर दिया। किसान की सारी मेहनत बर्बाद हो गई। भोपाल, सीहोर, विदिशा होशंगाबाद सहित कई जिलों में गेहूं की फसल आड़ी पड़ गई तो चने पर ओलों की सफेद चादर बिछ गई।

भोपाल में आंधी की चपेट में आकर गिरे 40 वर्षीय सिक्योरिटी गार्ड मांगीलाल मालवीय की मौत हो गई। भिंड, मुरैना और छतरपुर में आकाशीय बिजली की चपेट में आकर 5 लोगों और छिंदवाड़ा में 12 गायों की जान चली गई।भोपाल में करीब पांच मिनट तक कहीं काबुली चने के बराबर और कहीं बेर के आकार के ओले गिरे। साकेत नगर, बावड़िया कलां, होशंगाबाद रोड, कोलार समेत कई इलाकों की कुछ काॅलोनियों के बगीचों और छतों पर ओले बिछ गए।

विदिशा: 40 से ज्यादा गांवों में खड़ी फसलें आड़ी हो गईं।
गुना :आरोन, राघौगढ़ और चांचौड़ा में चने और धनियां को ज्यादा नुकसान।
रायसेन: 50 से ज्यादा गांवों में बारिश के साथ गिरे ओले, तेज हवा से आड़ी हो गई फसलें।
अशोकनगर: 14 गांवों में दो से तीन मिनट तक ओले गिरे। आंशिक नुकसान।
इसके अलावा होशंगाबाद, हरदा, बैतूल, श्योपुर, शिवपुरी, उमरिया, राजगढ़ में ओले-बारिश के समाचार हैं। विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा है। 

कहां कितनी हुई बारिश
भोपाल में सबसे ज्यादा 13.3 मिमी
खजुराहो- 6.6
उमरिया- 6.0
होशंगाबाद- 4.0
ग्वालियर- 1.9
टीकमगढ़- 2.0
मंडला- 1.0
(आंकड़े मिमी में)

70 मिनट तक नहीं पिघले ओले: 
भोपाल में गिरे आेले 70 मिनट तक नहीं पिघले। मौसम वैज्ञानिक एसके नायक के मुताबिक ओले गिरते वक्त हवा की रफ्तार ज्यादा थी इसके बाद हवा की गति बिलकुल कम हो गई। इस वजह से वाष्पीकरण नहीं हो सका और ओले जल्दी नहीं पिघले। आेले लेटेंट हीट यानी गुप्त उष्मा छोड़ते हैं। इसके कारण इनके आसपास तापमान ज्यादा हो जाता है।

पहली बार गिरे इतने बड़े ओले
राजधानी में फरवरी में पहली बार इतने बड़े ओले गिरे। 4 साल पहले 26 फरवरी 2014 को 3.96 मिमी बारिश हुई थी। पिछले साल भी फरवरी में बारिश हुई थी। इससे पहले 1986 में फरवरी महीने में सबसे ज्यादा 5.48 मिमी पानी बरसा था।

प्रमुख सचिव को उम्मीद नुक्सान ज्यादा नहीं हुआ
कुछ जिलों से जो जानकारी मिली है, उसमें पता चला है कि ओले का आकार ज्यादा बड़ा नहीं था। इसलिए नुकसान की संभावनाएं कम हैं। फिर भी ओला प्रभावित गांवों में नियम के अनुसार राहत व मुआवजा राशि किसानों की दी जाएगी।
डॉ. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव, कृषि

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