पढ़िए दिग्विजय सिंह ने क्यों मांगी 100 एकड़ जमीन, PM और CM को लिखा खत | MP NEWS

भोपाल। वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि हीरापुर के पूर्व राजा हिरदेशाह जूदेव लोधी के वंशज कौशलेन्द्र सिंह जूदेव लोधी की उनके पूर्वजों के समय से चले आ रहे आधिपत्य की 100 एकड़ जमीन उनके नाम करें। इसके अलावा, सिंह ने मोदी एवं चौहान ने अनुरोध किया कि वे हीरागढ़ के शहीद हिरदेशाह की स्मृति में ग्राम हीरापुर में स्तंभ लगवाने एवं राजा हिरदेशाह को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की सूची में जोड़ने हेतु उचित निर्देश प्रदान करने का कष्ट करें।

सिंह ने 7 फरवरी को प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम लिखे पत्र में कहा, ‘‘मेरा आपसे अनुरोध है कि हीरागढ़ स्टेट जिसे वर्तमान में हीरापुर नाम से जाना जाता है, के राजा कौशलेन्द्र सिंह जूदेव के उनके पूर्वजों के समय से चले आ रहे आधिपत्य की 100 एकड़ जमीन उनके नाम करने, हीरागढ़ के शहीद हिरदेशाह की स्मृति में ग्राम हीरापुर में स्तंभ लगवाने एवं राजा हिरदेशाह को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की सूची में जोड़ने हेतु उचित निर्देश प्रदान करने का कष्ट करें।’ 

अंग्रेजों ने संपत्ति हड़पकर किला जला दिया था

इसमें उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के अंतर्गत हीरापुर (ब्रिटिश शासनकाल में हीरागढ़ स्टेट) के राजाओं की 1857 की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 1857 से पहले हीरागढ़ एक स्वतंत्र रियासत थी, जिसके राजा हिरदेशाह जूदेव लोधी ने अंग्रेजों के खिलाफ 1842 से संघर्ष प्रारंभ कर दिया था, जो 1857 में उनके शहीद होने तक जारी रहा। सिंह ने कहा कि उनके शहीद होने के बाद उनकी रियासत की समस्त संपत्तियों को ब्रिटिश सरकार ने राजसात कर लिया और किले को आग लगा दी गई।

इतिहास में दर्ज है हीरागढ़ रियासत 

उन्होंने कहा कि हीरागढ़ रियासत का 19वीं शताब्दी के इतिहास में, ब्रिटिश कालीन नरसिंहपुर जिले के गजेटियर में उल्लेख है तथा राज्य पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय में इसके काफी प्रमाण मौजूद हैं। सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग के स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा ‘हीरापुर के हिरदेशाह’ तथा ‘1857 की क्रांतिसागर एवं नर्मदा क्षेत्र’ पुस्तकों का प्रकाशन भी किया गया है, जिसमें हीरागढ़ स्टेट के राजाओं का संघर्ष और उनकी संपत्तियों को राजसात करने के प्रमाण मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत प्रकाशन विभाग द्वारा अंग्रेजी में प्रकाशित पुस्तक ‘हूज हू आॅफ इंडियन मारटर्स’ में भी पृष्ठ क्रमांक 91 पर राजा मेहरबान सिंह एवं राज हिरदेशाह का स्पष्ट उल्लेख है। 

वंशज कौशलेन्द्र सिंह जूदेव को सरकार प्रताड़ित करती है 

सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार भी इस बात को स्वीकार करती है कि हीरागढ़ के राजा हिरदेशाह ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में ‘महाकौशल’ क्षेत्र को संगठित कर अंग्रेजों का मुकाबला किया। 25 मार्च 2017 को तहसीलदार नरसिंहपुर द्वारा कलेक्टर नरसिंहपुर को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट करते हुए लिखा है कि राजा हिरदेशाह की संपत्तियों को राजसात किया गया था तथा आज उसी वंश के वंशज कौशलेन्द्र सिंह जूदेव लोधी भूमिहीन हैं। यद्यपि पूर्वजों की 100 एकड़ भूमि पर आज भी इनका कब्जा है, जिसे मध्यप्रदेश सरकार अवैध मानती है तथा समय-समय पर इन्हें प्रताड़ित किया जाता रहा है।

15 अगस्त 1957 को की थी घोषणा आज तक पूरी नहीं हुई 

उन्होंने कहा कि इनके पूर्वजों के स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान को मध्यप्रदेश सरकार स्वीकार तो करती है, लेकिन उन्हें न तो स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का दर्जा दिया गया है और न ही उनके वारिसों को किसी प्रकार को कोई सम्मान या सुविधाएं दी गई हैं। सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैलाशनाथ काटजू ने 15 अगस्त 1957 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 100 एकड़ जमीन राजा हिरदेशाह के वंशज और उनकी विरासत के उत्तराधिकारियों के नाम करने की सार्वजनिक घोषणा की थी, लेकिन वह आज तक पूरी नहीं हुई है। राजा कौशलेन्द्र सिंह जूदेव लोधी स्वातन्त्रय वीर और शहीद राजा हिरदेशाह के वंशज तथा उनकी विरासत के एकमात्र उत्तराधिकारी हैं तथा उक्त भूमि अपने नाम दर्ज करने के लिए बरसों से निवेदन करते आ रहे हैं।

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