10 लाख की रिश्वत के आरोपी IPS को लोकायुक्त की क्लीनचिट | MP NEWS

भोपाल। कटनी के डॉ. बिशम्भर लालवानी से 10 लाख रुपए की डिमांड करने के मामले में आईपीएस गौरव राजपूत के खिलाफ चल रही जांच को लोकायुक्त ने औचित्यहीन मानकर समाप्त कर दिया है। लोकायुक्त ने मामले को स्वत: ही संज्ञान लेकर जांच शुरू की थी। 7 माह तक यह जांच चली और फिर लोकायुक्त ने इसे समाप्त कर दिया। दूसरी ओर केंद्र सरकार ने आईपीएस गौरव राजपूत को डीआईजी पद के लिए इंपैनल्ड कर दिया है। बता दें कि आईपीएस गौरव राजपूत का नाम कटनी शराब ठेका कांड में भी आया था। 

क्या था मामला
29 दिसंबर 2015 को भाजपा नेत्री एवं कोटवार संघ की अध्यक्ष रहीं श्रीमती प्रतिभा बजाज ने खुद को आग लगाकर आत्महत्या कर ली थी। जिनकी इलाज के दौरान जबलपुर अस्पताल में मौत हो गई थी। कटनी जिला अस्पताल में पुलिस को दिए प्राथमिक बयान में प्रतिभा ने स्वीपर सोनिया उर्फ जयंती लंगोटे को आत्महत्या के लिये जिम्मेदार ठहराया था, वहीं जबलपुर में मृत्यु पूर्व बयान में आत्महत्या के लिए उसने पांच अन्य लोगों को भी जिम्मेदार ठहराया था। 

माधवनगर पुलिस द्वारा धारा 306 के तहत सोनिया उर्फ जयंती एवं धारा 120 बी आईपीसी के तहत श्याम भाला, संदीप श्रीचंदानी, अर्जुन श्रीचंदानी, कमल मोहनानी को आरोपी बनाया। डॉ मंगतराम लालवानी को भी धारा 120बी के तहत आरोपी बनाया गया। आरोपित है कि पुलिस ने डॉ लालवानी से इस केस में फंसाने की धमकी देकर 10 लाख रुपए वसूला था। इसके बाद महिला टीआई ने और पैसों की मांग की। नहीं देने पर एफआईआर में नाम दर्ज कर लिया। 

भाजपा नेत्री के पति ने फंसाया
डॉ लालवानी ने बताया कि मृतका प्रतिभा बजाज के पति प्रकाश बजाज ने धोखाधड़ी कर सरकारी जमीन बेच दी थी। प्रकाश बजाज के खिलाफ सन् 2014 में प्रकरण दर्ज हुआ था तथा मामला न्यायालय में लंबित है। प्रकाश बजाज ने यह प्रकरण वापस लेने तथा ब्लैकमेल करने प्रतिभा बजाज की मौत के बाद एसपी से मिलकर मेरा नाम घसीटा था। 

डीजीपी ने दिए थे जांच के आदेश
डॉ लालवानी ने तत्कालीन डीजीपी सुरेन्द्र सिंह को शपथ पत्र के साथ आरोप लगाकर शिकायत की थी। उसके अनुसार तत्कालीन पुलिस अधीक्षक गौरव राजपूत ने उन्हें इस केस में फंसाकर जेल भेजने, चिकित्सा लाइसेंस निरस्त करने एवं क्लीनिक में ताला लगाने की धमकी दी एवं निरीक्षक गायत्री सोनी को चार आरक्षकों के साथ 30 दिसंबर 2015 को नई बस्ती स्थित क्लीनिक भेज दिया। जहां गायत्री सोनी ने उनसे 10 लाख रुपए वसूले। तत्कालीन माधवनगर टीआई गायत्री सोनी ने उन्हें बुलाया व कहा कि एसपी इतने में नहीं मान रहे हैं और पैसे चाहिए। गायत्री सोनी की यह मांग डॉ लालवानी द्वारा अस्वीकार कर दी थी। इसी कारण उनका नाम भी एफआईआर में दर्ज कर लिया गया। 

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