चेन्नई स्थित रेलवे की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में इन ट्रेनों के सेट्स तैयार हो रहे हैं और 16 फुली एयर-कंडीशंड कोचेज वाली पहली ट्रेन जून 2018 तक लांच कर दी जायेगी। इस नयी रेलगाड़ी को ट्रेन-18 का नाम दिया गया है और माना जाता है कि ये ट्रेनें मौजूदा शताब्दी ट्रेनों की जगह लेंगी। वहीं इसी तर्ज पर तैयार हो रही दूसरी नयी ट्रेन, जिसे ट्रेन-20 नाम दिया गया है, की लांचिंग साल 2020 में होने की उम्मीद है। इन्हें मौजूदा राजधानी ट्रेनों की जगह इस्तेमाल किया जाना है।
आईसीएफ के जनरल मैनेजर एस मणि के मुताबिक, मेक इन इंडिया के तहत तैयार होने वाली ये दो नयी रेलगाड़ियां - ट्रेन 18 और ट्रेन 20 विश्व स्तरीय सुविधाओं से लैस होंगी, जिनमें वाई-फाई से लेकर स्लाइडिंग डोर की सुविधा रहेगी। ईएमयू की जगह चलनेवाली नयी ट्रेनों के निर्माण की लागत विदेशों से आयात ट्रेनों की कीमत से आधी होगी। बस एक अंतर यह होगा कि ट्रेन 20 एल्युमिनियम बॉडी की होगी, जबकि ट्रेन 18 की स्टेनलेस स्टील बॉडी होगी।
Train 18 आैर Train 20 की जानें खूबियां
फुली एयर-कंडीशंड कोचेज में वाई-फाई, इंफोटेनमेंट, जीपीएस बेस्ड पैसेंजर इंफॉर्मेशन सिस्टम की सुविधा होगी।
विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस कोच में स्लाइडिंग डोर होंगे, एलईडी लाइटिंग से लैस इंटीरियर्स चमकदार होंगे।
सीटें हवाई जहाज जैसी होंगी और फर्नीचर बेहद आकर्षक होगा।
हर सीट पर स्क्रीन जिनके जरिये जरूरी जानकारी मिलेगी।
मॉडर्न लुक के लिए कांच की बड़ी-बड़ी खिड़कियां, ऑटोमैटिक दरवाजे और सीढ़ियां होंगी जो स्टेशनों पर खुद खुलेंगी और बंद होंगी। इन ट्रेनों में वैक्युम वाले बायो-टॉयलेट्स होंगे।
सफर के दौरान यात्रियों को झटके नहीं लगेंगे और सिस्टम भी आधुनिक होगा।
कोच की दीवारें फाइबर री-इंफोर्स्ड ग्लास की होंगी।
इन ट्रेनों में सफर में लगने वाला समय 20 फीसदी तक कम हो जायेगा।
16 कोच की इस ट्रेन में अलग से इंजन नहीं होगा. यह पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरने वाली ट्रेन होगी।
ऐसे बचेगा समय
गौरतलब है कि राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस की अधिकतम रफ्तार 150 किलोमीटर प्रति घंटे की है, लेकिन उनकी औसत रफ्तार 90 किलोमीटिर प्रति घंटे तक सीमित रहती है।
बताया जाता है कि दोनों हाईस्पीड ट्रेनें 130 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत से दौड़ेंगी और इनकी अधिकतम रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा है।
ट्रेन 18 और ट्रेन 20 में दिल्ली से हावड़ा के 1440 किलोमीटर रूट पर लगने वाले समय में लगभग साढ़े तीन घंटे का समय बच जायेगा।
एक कोच के निर्माण पर 5.50 करोड़ रुपये तक का खर्च
नये जमाने की इन मेड इन इंडिया ट्रेनों में ड्राइवर का कैबिन ट्रेन के दोनों छोर पर होगा. यानी ये ट्रेनें एक ही पटरी पर आगे-पीछे दोनों दिशाओं में चल सकती हैं. इनमें ट्रेन की दिशा बदलने के लिए इंजन नहीं बदलना होगा. इन ट्रेनों के हर कोच में ट्रैक्शन मोटर्स लगे होंगे, जिनसे यह तेजी से पटरी पर दौड़ेंगी.
आईसीएफ के डिजाइनर्स के मुताबिक, हर कोच में मोटर लगाने वाली तकनीक का इस्तेमाल पूरे विश्व में किया जा रहा है. इन ट्रेनों में फर्स्ट क्लास और प्रीमियम फर्स्ट क्लास बोगियां होंगी.
ट्रेन 18 के प्रत्येक कोच के निर्माण में 2.50 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है, तो वहीं ट्रेन 20 के प्रत्येक कोच के निर्माण में 5.50 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा.