गरीब दलितों को बताएंगे, अमीर दलित कितना अन्याय करते हैं: सपाक्स | MP NEWS

भोपाल। दिनांक 7 जनवरी 2018 को सपाक्स संस्था का राज्य स्तरीय सम्मेलन भोपाल में आयोजित हुआ। सम्मेलन में सभी जिलों के संस्था पदाधिकारियों के साथ-साथ विभिन्न ज़िलों से प्रतिष्ठित सामाजिक प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। संस्था संरक्षक राजीव शर्मा, सभी संस्थापक सदस्यों व प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्यों के अतिरिक्त राजधानी के विभिन्न विभागों के संस्था प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। विशेष आमंत्रितों में सपाक्स समाज संस्था के अध्यक्ष पीएस परिहार, बीएल त्यागी तथा सपाक्स युवा ईकाई से अभिषेक सोनी, प्रसंग परिहार उपस्थित रहे।

सम्मेलन में संस्था के पदोन्नति में आरक्षण को लेकर चल रहे संघर्ष और मान उच्च न्यायालय के निर्णय को लागू कराने तथा मान सर्वोच्च न्यायालय में प्रकरण की स्थिति पर मंथन किया गया। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि सामाजिक समरसता के लिये अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग को भी इस सम्बंध में जागरूक किया जाना ज़रूरी है कि अनुसूचित जाति/ जनजाति में क्रीमीलेयर न रखा जाना किस तरह आरक्षण के लाभ से उन्हें वंचित रखने की साज़िश है।

हाल ही में मान मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पदोन्नति न की जाना बेईमानी है और शासकीय सेवकों के प्रति अन्याय है। सपाक्स जानना चाहता है कि लगातार सभी स्तरों पर माँग रखने के बावजूद डेढ वर्ष से सरकार हमारे न्यायिक अधिकारों का हनन क्यों करती रही? यदि मुख्यमंत्रीजी वास्तव में इसे बेईमानी मानते हैं तो सपाक्स माँग करता है कि उनके विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जावे, जो इस हेतु दोषी हैं। साथ ही सपाक्स यह भी माँग करता है कि मान सर्वोच्च न्यायालय में की गई अपील सरकार तत्काल वापिस ले और मान उच्च न्यायालय जबलपुर का निर्णय अविलंब लागू कर तंत्र में व्याप्त अराजकता को समाप्त करें। व्यापक सामाजिक हित और समानता के संवैधानिक अधिकारों का सम्मान करते हुए संस्था सरकार से तत्काल निम्न कार्यवाहियाँ सुनिश्चित करने की माँग करती है-

1. सेवानिवृत्ति से ख़ाली हुए पदों पर मूल वरिष्ठता के आधार पर उपयुक्त वरिष्ठ सेवकों मात्र को प्रभार दिये जाएँ। इन पदों पर अनुसूचित जाति/ जनजाति के उन सेवकों को प्रभार दिया जाना जिनकी ख़ुद की पदोन्नति असंवैधानिक नियमों से की गई है, सपाक्स वर्ग से अन्याय है।
2. यदि मुख्यमंत्रीजी वास्तव में मानते हैं कि पदोन्नति में बाधा बेईमानी है तो सरकार तत्काल मान सर्वोच्च न्यायालय से अपनी अपील वापिस ले और मान उच्च न्यायालय का निर्णय लागू करे। 
2.  सरकार बैक्लॉग के 1.00 लाख पदों को भरने की पहल कर रही है जबकि अनारक्षित 1.75 लाख ख़ाली पदों को भरने की कोई कोशिश सरकार नहीं कर रही। प्रदेश में हर वर्ग के लाखों युवा बेरोज़गार हैं, ऐसे में सिर्फ़ वर्ग विशेष की भर्ती शासकीय सेवा में सामाजिक असंतुलन की कोशिश है।
3. सरकार 70% वर्ग के हितों को ताक पर रख वह एक वर्ग के लिये न सिर्फ़ सर्वोच्च न्यायालय गई बल्कि प्रकरण के सारे सूत्र उस वर्ग को ही सौंप दिए गए। प्रकरण में प्रभारी अधिकारी आरक्षित वर्ग से बनाये गये। अप्रत्याशित वित्तीय सहायता दी गई और हर तरह का आश्वासन भी। संस्था माँग करती है समानता का सम्मान करते हुए सरकार न सिर्फ़ निष्पक्ष हो बल्कि ऐसा दिखे भी। प्रभारी अधिकारियों में से एक सपाक्स वर्ग से हो, और संस्था तथा प्रतिवादियों को भी वैसी ही आर्थिक मदद उपलब्ध कराई जाये जैसी एक वर्ग विशेष को सार्वजनिक घोषणा के साथ दी गई है।
4.  अन्य पिछड़ा वर्ग की ही तरह अनुसूचित जाति/ जनजाति में भी क्रीमीलेयर लागू हो, ताकि इस वर्ग का अभिजात्य बाहर हो और वास्तविक वंचित लाभान्वित हों।
5. ‘शिक्षा का अधिकार’ देश में लागू है, जिस प्रकार की आर्थिक मदद अनुसूचित जाति/ जनजाति को दी जाति है वैसी ही सभी समाज के निर्धनों को शिक्षा हेतु सहायता सरकार उपलब्ध करावे.

6. नौकरियों हेतु चयन परीक्षाएँ एक बेरोज़गार से आय का साधन नहीं हो सकती. सभी वर्गों से एक समान न्यूनतम फ़ीस ही इस हेतु ली जावे. 
7. संविदा और ठेका प्रथा पर पढ़े लिखे युवाओं को रख अकुशल मज़दूर से कम दैनिक वेतन साक्षरता और उच्च शिक्षा का अपमान और युवाओं का शोषण है. सभी संविदा कर्मियों को नियमित किया जाये. ऐसा होने तक मान सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय अनुसार समान कार्य, समान वेतन नियम का पालन हो. यह शिक्षित नौजवानों के साथ गम्भीर अन्याय है, जबकि शासन के लाखों स्वीकृत पद ख़ाली पड़े हैं.

8. सामान्य/ पिछड़ा वर्ग के निर्धन युवाओं को स्वरोज़गार और लघु उद्योग के लिए अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग के समान ही वित्तीय संसाधन और अन्य सुविधाओं के प्रावधान किए जावें.
9.  संस्था प्रदेश के दो तिहाई शासकीय वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है एवं संस्था के 70000 से अधिक सक्रिय सदस्य हैं. संस्था को अविलंब शासन की मान्यता दी जावे.

संस्था सपाक्स समाज के साथ लगातार किये जा रहे अन्याय के विरुद्ध जनजागरूकता अभियान चला रही है. सम्मेलन में निश्चित किया गया कि -
1.  आगामी अप्रैल माह में सभी सपाक्स समाजों को सम्मिलित कर भोपाल में एक विशाल रैली आयोजित की जावेग़ी.
2. फ़रवरी के प्रथम सप्ताह में भोपाल में सरकार की पक्षपातपूर्ण नियत के विरुद्ध 7-दिवसीय क्रमिक भूख हड़ताल की जाएगी तथा इसकी समाप्ति पर जनजागरुकता हेतु पूरे प्रदेश में जागरूकता रथ रवाना होंगे, जो अप्रैल माह में विशाल रैली के दिन वापस भोपाल लौटेंगे.

3.  प्रदेश के सभी मान सांसदों/ विधायकों को उनके क्षेत्र में ही जनसमूह के साथ घेरकर ज्ञापन सौंपे जाएँगे.
4.  संस्था की सदस्यता 2.00 लाख तक बढ़ाने के लिए विशेष अभियान अगले 2 माहों में चलाया ज़ावेगा.

5.  यद्यपि संस्था न्यायालयीन प्रकरण में पैरवी हेतु आर्थिक सहायता की माँग शासन से करती है किंतु संस्था समझती है कि वर्तमान परिस्थिति में शासन से ऐसी कोई मदद नहीं मिलेगी. अतः तात्कालिक आवश्यकता के लिए सपाक्स समाज से सतत सम्पर्क कर आवश्यक आर्थिक सहायता प्राप्त करेगी.

संस्था की निरंतर बढ़ती गतिविधियों और कतिपय कार्यकारिणी सदस्यों की अतिरिक्त व्यस्तताओं के कारण सम्बंधित की सहमती से कार्यकारिणी में परिवर्तन भी किया गया है.

सम्मेलन में सर्वसम्मति से निम्नानुसार नई कार्यकारिणी गठित की गई-
1.  श्री के एस तोमर (श्री आनंद सिंह कुशवाह के स्थान पर) - अध्यक्ष 
2. श्रीमती रक्षा दुबे (सेवा निवृत श्री बी एल त्यागी के स्थान पर) - उपाध्यक्ष 
3. श्री एस आर मलिक (श्री बुंदेला के स्थान पर) - सहसचिव 
4. श्री प्रमोद वैद्य - प्रवक्ता 

इनके अतिरिक्त कार्यकारिणी के सदस्य यथावत रहेंगे।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !