वारंटी मंत्री को बचाने पुलिस ने गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट से स्टे मांगा था | MP NEWS

भोपाल। कोर्ट ने जिस भिंड पुलिस को वारंटी मंत्री लाल सिंह आर्य को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी, वही पुलिस हाईकोर्ट में भिंड कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ आवेदन कर रही थी। वो कांग्रेस विधायक माखन जाटव हत्याकांड के आरोपी सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री लालसिंह आर्य को गिरफ्तारी से बचाना चाहती थी। पुलिस ने हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में इंटरवीनर बनकर गुहार लगाई थी कि भिंड जिला कोर्ट की कार्रवाई रोकी जाए। हाईकोर्ट ने पुलिस की इसी अर्जी पर आर्य को गिरफ्तारी से राहत दी थी। बताया जा रहा है कि भिंड एसडीओपी राजीव चतुर्वेदी की ओर से 11 दिसंबर-17 को इंदौर हाईकोर्ट में एक आवेदन लगाया गया था, जिसमें उन्होंने जिला कोर्ट की कार्रवाई पर स्टे देने का आग्रह किया था। 

सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने ही मामला भिंड भेजा था
कांग्रेस विधायक माखनलाल जाटव की 14 अप्रैल-09 को हत्या हुई थी। 6 जुलाई को पुलिस ने इस केस में चार्जशीट पेश कर दी थी। पुलिस की जांच पर सवाल उठे तो मामले की जांच 7 जुलाई-09 को ही सीबीआई को सौंपी गई। 30 नवंबर को सीबीआई ने इंदौर में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट पेश की। स्पेशल कोर्ट ने इस केस को आगे सुनवाई के लिए भिंड सेशन कोर्ट में भेज दिया। 28 जून-11 को भिंड कोर्ट ने दोनों चार्जशीट को मर्ज कर सुनवाई शुरू की। सीबीआई चाहती थी कि इस केस की सुनवाई इंदौर में ही हो, इसलिए उसने इंदौर हाईकोर्ट में रिवीजन याचिका दायर की। 

इंटरवीनर नहीं मांग सकता कोई रिलीफ 
कानूनविदों ने मंत्री आर्य को बचाने की एमपी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इंटरवीनर के लिए मेसर्स सरस्वती इंडस्ट्रियल बनाम कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स रोहतक (1999) के केस में यह नजीर दी थी कि इंटरवीनर कोर्ट के समक्ष सिर्फ अपना पक्ष रख सकता है, रिलीफ नहीं मांग सकता। रिलीफ मांगने का अधिकार सिर्फ याचिकाकर्ता और प्रतिवादी को ही है। 

यह तो शासन का आदेश था
राजीव चतुर्वेदी, एसडीओपी, लहार, भिंड का कहना है कि हां, मैंने ही इंदौर हाईकोर्ट में इंटरवीनर एप्लीकेशन राज्य शासन की ओर से पेश की थी। इसका फैसला राज्य शासन ने लिया था। चूंकि यह केस सीबीआई को ट्रांसफर हो गया था, इसलिए भिंड पुलिस अब अभियोजन पक्ष का हिस्सा नहीं है। शासन को यह बाद में पता चला कि यह केस गलत तरीके से इंदौर सीबीआई कोर्ट से भिंड कोर्ट में ट्रांसफर हुआ था, सीबीआई ने भी इस पर आपत्ति की थी। 

क्या कहते हैं हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज
सरकार ने पुलिस पर दबाव बनाकर जानबूझकर ऐसा रास्ता निकाला है, जिससे मंत्री को गिरफ्तार न करना पड़े और अदालती कार्यवाही ही ठप हो जाए। किसी मंत्री का वारंट निकला हो, इससे शर्मनाक बात क्या हो सकती है। मंत्री को खुद आगे आकर कानून का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि वे सरकार का हिस्सा हैं। 
जस्टिस एनके मोदी, रिटायर्ड जज, मप्र हाईकोर्ट 

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