भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति में अपना ही दम रखने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्रीनिवास तिवारी का निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे SHRINIWAS TIWARI ने गुरुग्राम के एस्कॉर्ट फोर्टिस में अंतिम सांस ली। श्री तिवारी को रीवा का सफेद शेर कहा जाता था। उनकी राजनैतिक पकड़ क्षेत्र के गली मोहल्लों तक थी। उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री की कुर्सी को हिलाकर रख दिया था।
93 वर्षीय श्रीनिवास तिवारी को मंगलवार को रीवा के संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, जिसके चलते परीक्षण के लिए अस्पताल ले जाया गया जहां पर चिकित्सकों ने भर्ती कर लिया था। गंभीर हालत को देखते हुए चिकित्सकों की सलाह पर बुधवार को उन्हें एयर एंबुलेंस से दिल्ली ले जाया गया था।
श्रीनिवास तिवारी ने विद्यार्थी काल से ही सार्वजनिक जीवन की शुरूआत कर दी थी। सबसे पहले उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। सन् 1948 में विंध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी का गठन किया तथा सन् 1952 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में विंध्य प्रदेश विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। जमींदारी उन्मूलन के लिए अनेक आंदोलन संचालित किए तथा कई बार जेल यात्राएं की। सन् 1972 में समाजवादी पार्टी से मध्यप्रदेश विधान सभा के लिए निर्वाचित हुए।
सन् 1973 में अ.भा. कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए। सन् 1977, 1980 एवं 1990 में विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। सन् 1980 में श्री अर्जुन सिंह के मंत्रिमंडल में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के मंत्री रहे। सहकारिता आंदोलन में सक्रिय भूमिका का निर्वाह किया। भूमि विकास बैंक, केन्द्रीय सहकारी अधिकोष तथा उपभोक्ता भंडार रीवा के अध्यक्ष रहे। सन् 1973 से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी तथा मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रबंध समिति के सदस्य रहे। अवधेश प्रताप सिंह वि.वि. रीवा की कार्य परिषद् में विश्वविद्यालय की स्थापना से ही कई बार सदस्य रहे। सन् 1990 से सन् 1992 तक मध्यप्रदेश विधान सभा के उपाध्यक्ष रहे। सन् 1993 में विधान सभा सदस्य निर्वाचित एवं दिनांक 24 अक्टूबर, 1993 से दिनांक 1 फरवरी, 1999 तक मध्यप्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष रहे। सन् 1998 में सातवीं बार विधान सभा सदस्य निर्वाचित एवं दिनांक 2 फरवरी, 1999 से 12 दिसम्बर, 2003 तक अध्यक्ष, मध्यप्रदेश विधान सभा रहे।