कोलारस में घबरा गए, कांग्रेस के सुपर स्टार सिंधिया | MP NEWS

श्रीमद डांगौरी/भोपाल। मध्यप्रदेश की मुंगावली और कोलारस विधानसभा सीटों पर आ रहे उपचुनाव में अधिसूचना जारी होने से पहले ही चुनावी संघर्ष शुरू हो चुका है। कोलारस में तो यह काफी सरगर्म भी हो गया है। सीएम शिवराज सिंह 5 रैलियां कर चुके हैं, मंत्रियों का पूरा मंडल कोलारस में जमा हुआ है। जातिवाद के समीकरण सेट कर लिए गए हैं। गुजरात चुनाव से लौटे सिंधिया जब कोलारस आए तो स्थिति कुछ और ही थी। कोलारस से दिल्ली लौटे सिंधिया ने जाते ही पिछोर विधायक केपी सिंह को कोलारस का प्रभारी घोषित कर दिया। इसी के साथ यह माना जा रहा है कि सिंधिया, कोलारस में शिवराज सिंह की तैयारियों से घबरा गए हैं और खुद को बचाने के लिए उन्होंने केपी सिंह को बलि का बकरा बनाकर पेश कर दिया है। 

बता दें कि कोलारस विधानसभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विजयपुर विधायक रामनिवास रावत के साथ उज्जैन के पूर्व विधायक राजेंद्र भारती को प्रभारी बनाया था। दोनों नेताओं को सिंधिया का खास सिपहसालार माना जाता है। ये भारत के किसी भी क्षेत्र में जाकर सिंधिया से लिए काम करते हैं और दोनों ने सिंधिया को कई सफलताएं भी दिलाईं हैं। सिंधिया ने जब दोनों को कोलारस का प्रभारी बनाया तो माना जा रहा था कि सिंधिया यहां पूरा जोर लगा रहे हैं लेकिन सिंधिया ने फैसला बदल दिया। अपने विरोधी विधायक केपी सिंह को कोलारस का प्रभारी घोषित करवा दिया। सवाल किए जा रहे हैं कि आखिर सिंधिया ने यह फैसला क्यों लिया। 

कहा जा रहा है कि कोलारस में जिस तरह से सीएम शिवराज सिंह और मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने चुनावी जमावट की है, उसे देखकर सिंधिया घबरा गए हैं। कोलारस में कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी और उनके परिवार के हाथ पांव भी फूले हुए हैं। सिंधिया से पहले शिवराज ने सामाजिक पंचायतों का आयोजन करके जातिवादी गेम जीत लिया। किरार समाज के सम्मेलन में एक नेता ने सिंधिया के हाथ तोड़ने और जुबान काटने की धमकी भी दे दी। अंतत: सिंधिया ने रणनीति बदली। उन्हे समझ आ गया कि उनके रामनिवास और राजेन्द्र इन हालातों से जूझ ही नहीं पाएंगे अत: उन्होंने केपी सिंह को आगे बढ़ा दिया है। इससे 2 फायदे होंगे। पहला केपी सिंह के अनुभव और दबंगी का लाभ मिलेगा और दूसरा यदि हार गए तो दोष केपी सिंह पर मढ़ा जा सकेगा। 

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