मुंबई में MLA मेवाणी और SL खालिद का कार्यक्रम रद्द किया, हॉल सील, छात्र हिरासत में | NATIONAL NEWS

मुंबई। पुलिस ने गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी और जेएनयू के स्टूडेंट लीडर उमर खालिद के गुरुवार को मुंबई के विले पार्ले में होने वाले प्रोग्राम को रद्द कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने उस हॉल को भी सील कर दिया है जिसमें प्रोग्राम होने वाला था। ऑर्गनाइजर्स ने इसे मामले में पुलिस पर जबरदस्ती परेशान करने का आरोप लगाया है। प्रोग्राम का आयोजन छात्र भारती सभा कर रही थी लेकिन भीमा-कोरेगांव हिंसा को देखते हुए पुलिस ने इसे मंजूरी देने से इनकार कर दिया। पुलिस ने छात्र भारती के पदाधिकारियों को हिरासत में ले लिया है। इन सबके बीच गुरुवार को पुणे के विश्रामबाग पुलिस स्टेशन में जिग्नेश और खालिद के खिलाफ दूसरा केस दर्ज हुआ है।

दोनों के कार्यक्रम स्थल पर आने पर भी रोक
मुंबई पुलिस को दोनों के भड़काऊ भाषणों को लेकर कई शिकायत मिली थी, जिसके बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की है। प्रोग्राम सुबह 11 बजे शुरू होना था, लिहाजा हॉल में काफी संख्या में लोग पहुंच चुके थे।
तकरीबन 10.30 बजे विले पार्ले पुलिस की एक टीम यहां पहुंची। पहले हॉल को खाली करवाया और फिर उसे सील कर दिया।
छात्र भारती के उपाध्यक्ष सागर भालेराव ने बताया, "हमने भाईदास हॉल को प्रोग्राम के लिए बुक कराया था। इसी हॉल में ऑल इंडिया नेशनल स्टूडेंट्स समिट होना था लेकिन अब हमें अंदर जाने भी नहीं दिया जा रहा। इसके पीछे पुलिस ने उमर खालिद और जिग्नेश मेवाणी को लेकर बीते दिनों से आ रही खबरों को वजह बताया।"

पुलिस ने खालिद और जिग्नेश के कार्यक्रम स्थल के आसपास आने पर भी रोक लगा दी है। पुलिस ने आयोजन स्थल के आसपास धारा 149 लागू कर दी है। इस धारा के लागू होने से 5 से अधिक लोग एक जगह इकट्ठा नहीं हो सकेंगे।

ऑर्गनाइजर्स ने पुलिस के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। रोहित ढाले नामक शख्स ने कहा कि हम उमर और जिग्नेश से सड़क पर भाषण देने को कहेंगे। पुलिस ने एहतियातन स्टूडेंट्स को भी हिरासत में लिया है।

पुणे में दोनों के खिलाफ दर्ज हुआ था केस
दोनों पर भीमा-कोरेगांव इलाके में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में पुणे के विश्रामबाग पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 153(A), 505 और 117 के तहत केस दर्ज किया गया है।
दोनों पुणे के शनिवारवाड़ा में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई के 200 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित 'यलगार-परिषद' में शामिल हुए थे। इसके बाद पुणे की एक सामाजिक कार्यकर्ता ने दोनों के खिलाफ केस दर्ज करवाया।
इससे पहले पुणे में हुई हिंसा के बाद दोनों के खिलाफ डेक्कन पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया था।

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