हम बहुत कुछ सीख सकते हैं, इजरायल से | EDITORIAL

राकेश दुबे@प्रतिदिन। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के इस दौरे से यह साबित हुआ कि भारत इजरायल से बहुत कुछ सीख सकता है। स्टार्टअप, रक्षा और निवेश सहित साइबर सुरक्षा, फिल्म-निर्माण, सौर ऊर्जा आदि को लेकर भी दोनों देशों ने मिलकर काम करने का जो करार किये हैं। उसके दूरगामी परिणाम दिखते हैं। वैसे भी दुनिया के जिस किसी अनुसंधान व विकास केंद्र या विश्वविद्यालय में भारतीय व इजरायली साथ-साथ काम कर रहे हैं, उनमें गहरी मित्रता देखी गई है। ऐसे में, अगर हम देश के भीतर इजरायली प्रौद्योगिकी या स्टार्टअप को प्रोत्साहित कर सके और तकनीकी कौशल विकास केंद्र स्थापित कर सके, तो यह हमारे लिए काफी सुखद स्थिति होगी। हमारे यहां कई वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं हैं और वे बेहतर स्थिति में भी हैं, लेकिन अंतरिक्ष एवं परमाणु-ऊर्जा जैसे चंद केंद्रों को छोड़ दें, तो नतीजों के मामले में ये प्रयोगशालाएं कुछ खास साबित नहीं हुई हैं। इजरायल से हम कुछ और भी सीख सकते हैं।

कृषि क्षेत्र में भी मिलकर काम करने पर बनी सहमति के नतीजे बेहतर हो सकते है। अपने यहां आमतौर पर सरकारें मध्यवर्ग के हितों का ही ख्याल रखती हैं। इस कारण विकास की दौड़ में गरीब व ग्रामीण तबकों के लोग पीछे छूट जाते हैं। भारत और इजरायल के बीच वाटर हॉर्वेस्टिंग यानी बारिश की पानी को संरक्षित करने, जल-प्रबंधन और कृषि संबंधी अन्य प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण को लेकर समझौता हुआ है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में तरक्की को पंख मिलेंगे। हालांकि इन क्षेत्रों में हमें पहले से भी इजरायल का सहयोग मिलता रहा है, लेकिन अब इसमें पर्याप्त मजबूती आएगी। इसी तरह, सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को लेकर हुआ समझौता भी स्वागत के योग्य है। इजरायल सीमा पार आतंकियों की पहचान करने और उन्हें खत्म करने में खास योग्यता रखता है। अब वह इसे हमसे भी साझा कर सकेगा। रक्षा क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने पर इस मसले पर बात आगे बढ़ेगी।

भारत और इजरायल की दोस्ती विश्व राजनीति को काफी प्रभावित कर सकती है। तनाव के मसलों का वे जल्द से जल्द निपटारा चाहते हैं। यह संभव भी दिख रहा है, क्योंकि जिस तरह वहां नए मुद्दे उभर रहे हैं, उनसे निपटना अब काफी जरूरी हो चला है। इस्लामिक स्टेट का जन्म ऐसी ही एक गंभीर समस्या है। इस गुट के खिलाफ बेशक कार्रवाई की जा रही है, लेकिन यह दक्षिण एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने की जुगत में है। उसके बढ़ते कदम को रोकने के लिए पश्चिम एशिया, खासकर इजरायल के साथ संबंध आगे बढ़ाने की दरकार है। भारत इन्हीं कोशिशों में जुटा हुआ है, जिसकी तारीफ की जानी चाहिए। 

इजरायल के साथ गहरी दोस्ती चीन और पाकिस्तान पर दबाव बनाने में भी कारगर है। इजरायल का चीन के साथ बेहतर रिश्ता है। वह बीजिंग से पौद्योगिकी का लेन-देन तो करता ही है, हमसे कहीं अधिक द्विपक्षीय कारोबार भी करता है। चूंकि नई वैश्विक व्यवस्था में चीन अत्यधिक दखल की मंशा पाले हुए है, इसलिए जरूरी है कि एक संतुलित शांति-व्यवस्था बनाने की दिशा में आगे बढ़ा जाए। इसमें इजरायल हमारे लिए मददगार हो सकता है। इसी तरह, कश्मीर पर इजरायल हमारे साथ है। उसे अपने साथ रखकर हम पाकिस्तान पर दबाव बना सकते हैं। इजरायल ही नहीं, कश्मीर पर हमारे रुख का समर्थन करने वाले तमाम देशों को एक साथ लाकर हम कश्मीर समाधान की नई पहल कर सकते हैं। इससे दुनिया भर में हमारा कद बढ़ा है। जाहिर है, इससे पाकिस्तान पर अंकुश लगाने और चीन के साथ व्यावहारिक रुख अपनाने में मदद मिलेगी।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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