फर्जी एनकाउंटर के आरोपी बने भोपाल के नए DIG | BHOPAL MP NEWS

भोपाल। मप्र शासन ने आईपीएस धर्मेंद्र चौधरी को भोपाल का नया डीआईजी बनाया है। उन्होंने संतोष सिंह आईपीएस से चार्ज ले लिया है लेकिन DHARMENDRA CHOUDHARY IPS की भोपाल में पदस्थापना के साथ ही उनका पुराना विवाद सामने आ गया। JHABUA में हुए बदमाश लोहान के ENCOUNTER को मानवाधिकार आयोग ने FAKE करार दिया था जिसके आधार पर धर्मेंद्र चौधरी से राष्ट्रपति पदक वापस ले लिया गया था। इस मामले में विभागीय फैसला अब तक बाकी है। ऐसी स्थिति में चौधरी की नियुक्ति ने विपक्ष को हमला करने का एक अवसर दे दिया है। 

क्या है मामला 
मप्र राज्य पुलिस सेवा (MP SPS) से पदोन्नत करके आईपीएस बनाये गये धर्मेन्द्र चौधरी 2002 में झाबुआ जिले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक थे। उस समय वहां सोहान नामक एक कथित अपराधी को पुलिस एनकाउंटर में मार गिराया गया था। एनकाउंटर करने वाले पुलिस दल की अगुवाई धर्मेन्द्र चौधरी कर रहे थे। इसी आधार पर 2004 में उन्हें वीरता पदक दिया गया था। जब उन्हे पदक दिया गया वो डीआईजी रतलाम थे। 

विवाद क्या है
उस एनकाउंटर पर पहले दिन से ही सवाल उठे थे। सोहान के परिजनों ने इस मामले की शिकायत मानव अधिकार आयोग (HUMAN RIGHT COMMISSION) से की थी। आयोग ने जांच के बाद एनकाउंटर को फर्जी पाया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजी थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रपति ने धर्मेन्द्र चौधरी को दिया गया वीरता पदक जप्त कर लिया। इसकी विधिवत अधिसूचना भी राष्ट्रपति सचिवालय ने जारी की थी। बताया जा रहा है कि शासन स्तर पर इस मामले का अब तक निराकरण नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पुलिस का सबसे पॉवरफुल पद दिए जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। 

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