छिंदवाड़ा में कंपनी ने नदी पूरकर सड़क बना दी, कलेक्टर ने दी परमिशन

भोपाल। छिंदवाड़ा में प्रकृति और सिस्टम से बड़े खिलवाड़ का मामला सामने आ रहा है। एक कंपनी ने अपने फायदे के लिए पेंच नदी पूरकर मिट्टी की सड़क बना दी। चौंकाने वाली बात तो यह है कि इसके लिए कलेक्टर ने परमिशन दी थी जबकि एसडीएम ने एनओसी नहीं दी थी। मामले का खुलासा तो तब हुआ जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में मामला दायर किया गया। एक और चौंकाने वाली बात यह है कि जिस कंपनी के नाम का इस मामले में जिक्र किया जा रहा है उसका तो कोई एमसीए रिकॉर्ड ही नहीं मिल रहा। 

गलत तथ्यों पर नदी में कच्ची सड़क बनाकर नदी के प्राकृतिक बहाव को रोकने और पर्यावरण नियमों के उल्लंघन को लेकर एनजीटी ने भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और वेस्टर्न कोल फील्ड सहित कुल ग्यारह लोगों को नोटिस थमा दिया है। आगामी 13 फरवरी को होने वाली सुनवाई में एनजीटी ने सभी प्रतिवादियों से जवाब के साथ उपस्थित होने को कहा है।

याचिकाकर्ता इरफान खान के वकील संभव सोगानी के अनुसार डंप साइट से पेंच ओपन कास्ट के बीच दो किमी की दूरी है। यह समय बचाने के लिए शाहिद इंफ्रा ग्रुप ने पेंच नदी के बीच से कच्ची सड़क बना दी है। इससे यह दूसरी 700 मीटर कम हो गई है लेकिन पानी का प्राकृतिक बहाव रुक गया है।

कलेक्टर ने बिना NOC परमिशन जारी कर दी 
याचिका में कहा गया है कि शाहिद इंफ्रा ग्रुप को इस कच्ची सड़क बनाने के लिए वेस्टर्न कोल फील्ड के जनरल मैनेजर और सीएमडी ने छिंदवाड़ा कलेक्टर से अनुमति दिलाने में मदद की है। कलेक्टर कार्यालय द्वारा बताया गया है कि इस काम के लिए एसडीएम परासिया और स्टेट वॉटर रिसोर्स डिपार्टमेंट की ओर से एनओसी जारी की गई है लेकिन सूचना के अधिकार में मिली जानकारी में इन दोनों विभागों ने इस तरह की किसी भी प्रकार की एनओसी जारी करने से इंकार किया है। 

नदी पर बनी कच्ची सड़क से 40 किमी दूर बन रहा बांध
नदी के बीच कच्ची सड़क बनाने से इस इलाके में नदी का कुछ हिस्सा सूख गया है। इसका सीधा असर कच्ची सड़क से करीब 40 किमी दूर सरकार द्वारा प्रस्तावित 600 करोड़ का माचागोरा डेम पर पड़ने की नौबत आ गई है। नदी के बहाव कम होने से यह प्रोजेक्ट प्रभावित हो सकता है। याचिकाकर्ता के अनुसार डब्ल्यूसीएल को इस बारे में बार-बार लिखा गया लेकिन इस कच्ची सड़क को तोड़ने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई।

जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की अपील
याचिका में माइंस एंड मिनरल डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट 1957, वॉटर (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) एक्ट 1974, एयर (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) एक्ट 1981 और एन्वायर्नमेंट प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के उल्लंघन को लेकर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की अपील की गई है।

इन्हें थमाया नोटिस
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार, मिनिस्ट्री ऑफ कोल, चीफ कंजर्वेशन ऑफ फॉरेस्ट भोपाल, सीपीसीबी, एमपीपीसीबी, एसडीएम परासिया, स्टेट वॉटर रिसोर्स डेवलपमेंट, छिंदवाड़ा कलेक्टर, शाहिद इंफ्रा ग्रुप, जनरल मैनेजर डब्ल्यूसीएल छिंदवाड़ा और सीएमडी डब्ल्यूसीएल नागपुर को नोटिस जारी कर दिया है।

SHAHID INFRA GROUP का MCA में रिकॉर्ड नहीं!
आॅनलाइन पड़ताल करने पर शाहिद इंफ्रा ग्रुप के नाम से किसी भी कंपनी का Ministry Of Corporate Affairs में कोई रजिस्ट्रेशन नजर नहीं आ रहा है। अलबत्ता दुनिया भर की किसी भी बेवसाइट पर SHAHID INFRA GROUP के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस नाम से कोई बेवसाइट भी नहीं है। केवल लिंक्डइन पर इश्ताक अली ने खुद को इस कंपनी का कर्मचारी बताया है और फेसबुक पर सांघी ब्रदर्स ने अपडेट दिया है कि उसने इस कंपनी को 5 प्राइमा बेचे हैं। इससे मिलते जुलते नाम SHAHID INFRA PROJECTS PRIVATE LIMITED के नाम से एक कंपनी रजिस्टर्ड मिल रही है जो 2013 में दर्ज ​की गई एवं रजिस्ट्रेशन हैदराबाद में हुआ लेकिन यह कंपनी छिंदवाड़ा में काम कर रही है, ऐसा कोई आॅनलाइन प्रमाण नहीं मिला है। 

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