मप्र: सहकारी BANKS में ASP घोटाला | MP NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश के घोटालों की लिस्ट में एक नया पन्ना जुड़ने जा रहा है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि अपेक्स और सहकारी बैंक के अफसरों ने TATA CONSULTANCY SERVICES के अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके कंपनी को बिना टेंडर 3 साल के लिए ASP का काम दे दिया। सरकारी दस्तावेजों में कुछ इस तरह दर्ज किया गया जैसे सरकार की मजबूरी थी, TCS ही जरूरी थी जबकि असल में सबकुछ फिक्स था। टीसीएस से कम दरों पर सेवाएं देने वाली कंपनी मौजूद हैं परंतु टेंडर ही नहीं बुलाए। सूत्रों का दावा है कि इस डील के पीछे बड़ा लेनदेन हुआ है। 

अपेक्स और जिला सहकारी बैंकों में रोजाना 200 से 300 करोड़ की कोर बैंकिंग होती है। टीसीएस इन सहकारी बैंकों में एप्लीकेशन सर्विस प्रोवाइडर (एएसपी) का काम करती है। टीसीएस का अनुबंध खत्म होने वाला था। नए टेंडर किए जाने थे परंतु अधिकारियों ने जान बूझकर समय रहते नए टेंडर नहीं किए और फिर टीसीएस ने दस्तावेजों में 1 जनवरी से बंद करने की धमकी दे दी। सबकुछ स्क्रिप्टेड प्रतीत हो रहा है। टीसीएस की धमकी पर सरकार भी झुक गई, जबकि सरकार टीसीएस को 6 माह तक या टेंडर प्रक्रिया पूरी होने तक सेवाएं देते रहने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य भी कर सकती थी परंतु ऐसा नहीं किया गया। अपेक्स बैंक के एमडी आरके शर्मा द्वारा 29 दिसंबर को लिखे पत्र में उन्होंने लिखा- 'टीसीएस के फैसले से सहकारी बैंकों को आर्थिक नुकसान के साथ ही साख खराब हो जाएगी, जिसके चलते एकतरफा शर्त मानना पड़ रही है।' और सरकार ने बात मान ली। जो अनुबंध 31 दिसम्बर 2017 को खत्म हो जाना था वो बिना टेंडर किए 3 साल के लिए बढ़ा दिया गया। 

लापरवाही या घोटाला
इस घटनाक्रम को अधिकारियों की लापरवाही बताकर फाइल बंद की जा रही है जबकि यह एक सुनियोजित घोटाला है। क्यों ना संदेह किया जाए कि 
टीसीएस और बैंक के अधिकारियों के बीच सबकुछ पहले से ही तय हो गया था।
टीसीएस से मिली गिफ्ट के कारण ही अधिकारियों ने टेंडर प्रक्रिया शुरू नहीं की। 
बैंक अधिकारियों के कहने पर टीसीएस ने काम बंद करने धमकी वाला ड्राफ्ट तैयार किया।
सबकुछ फिक्स था इसलिए तो बैंक कागजों में टीसीएस कंपनी के सामने घुटनों के बल झुक गया। 
आरोप है कि बिना टेंडर काम 1 साल के लिए भी दिया जा सकता था परंतु यह 3 साल के लिए दिया गया ताकि नई सरकार यदि बदल गई तो टीसीएस सेंटिंग करने का टाइम मिल जाए। 

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