ग्वालियर। मध्यप्रदेश में बेरोजगारी (UNEMPLOYMENT) से इस बार जजों का सिर चकरा रहा है। दरअसल, ग्वालियर जिला कोर्ट में चपरासी (PEON) के महज 57 पदों के लिए आवेदन बुलाए गये थे, जिसमें 60 हजार APPLICATION आए हैं। चौकानें वाली बात यह है कि पद का मानदेय सिर्फ 7500 रुपये है, लेकिन अधिकतर उम्मीदवार BE, MBA और यहां तक कि Phd डिग्रीधारी हैं। इन आवेदनों को देखकर जिला कोर्ट प्रशासन भी पसीना-पसीना हो रहा है क्योंकि चपरासी पद के लिए शैक्षणिक योग्यता 8वीं पास रखी गई है, इसलिए सभी को स्क्रीनिंग और पर्सनल इंटरव्यू के लिए जज के सामने से गुजरना होगा जो एक बड़ी चुनौती है। सेना भर्ती के बराबर शहर में उमड़ने वाली बेरोजगारों की इस भीड़ को कैसे नियंत्रित करेंगे, इसे लेकर प्रशासन के भी हाथ- पांव फूल गए हैं। पड़ोसी राज्यों से भी युवाओं ने आवेदन किया है।
हाईकोर्ट से लगाई गुहार
जिला कोर्ट में रह रोज 3 हजार लोगों का आना जाना रहता है, लेकिन 21 दिन होने वाले स्कीनिंग में रोजाना 2800 उम्मीदवारों को बुलाया जाएगा। जिससे कोर्ट में भीड़ बढ़ सकती है। क्योंकि वर्तमान में 3 हजार लोगों के आने से खड़े होने के लिए जगह नहीं रहती है। पूरी प्रक्रिया के लिए जिला कोर्ट ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई है।
कलेक्टर गाइड लाइन के आधार पर मिलेगा वेतन
चपरासी पद पर भर्ती होने वाले युवकों को कलेक्टर गाइडलाइन के हिसाब से वेतन मिलेगा। यह अकुशल श्रेणी का कर्मचारी है, जिसके चलते चयनित उम्मीदवार को 7 हजार 500 रुपए का वेतन मिलेगा।
नियुक्ति भी दैनिक वेतन भोगी की रहेगी। जनवरी 2016 में 5 पदों के लिए भर्ती हुई थी। 3500 हजार आवेदन आए थे।
14 जज 16 दिन तक बिना छुट्टी करेंगे इंटरव्यू
इतनी बड़ी चयन प्रक्रिया से निपटने के लिए जिला कोर्ट ने 14 जजों की कमेटी गठित की है। 28 जनवरी से उम्मीदवार की स्क्रीनिंग (अनुवीक्षण) होगी। इस दौरान उम्मीदवार को मूल दस्तावेज और अपने फोटो के साथ जज के सामने उपस्थित होना होगा। स्क्रीनिंग की मेरिट के बाद सेकेंड राउंड में साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। स्क्रीनिंग और साक्षात्कार में मिले अंकों को जोड़कर मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी। इसी के आधार पर ज्वाइनिंग कराई जाएगी। यह पूरी प्रक्रिया 18 फरवरी तक चलेगी।
14 जजों का इंटरव्यू बोर्ड होगा।
2857 आवेदकों की स्क्रीनिंग प्रत्येक जज को औसतन करनी होगी।
204 औसत आवेदक हर दिन एक जज के सामने से गुजरेगा।
1.2 करोड़ रुपये सिर्फ आवेदन फीस के रूप में ही कोर्ट को मिले हैं।