छग कांग्रेस में बड़े बदलाव, 4 नए नेता पॉवर में, 1 को हटाया | NATIONAL NEWS

रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में कई बड़े बदलाव किए गए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव को उनके पद पर तो बनाए रखा गया है, लेेकिन दूसरे कुछ नेताओं को भी वजन दिया गया है। पूर्व अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत चुनाव अभियान का अध्यक्ष बनाकर शक्ति संतुलन बनाने का प्रयास किया गया है। रामदयाल उइके और शिव डहरिया को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। उइके आदिवासी वर्ग से आते हैं और डहरिया एससी वर्ग से। रेणु जोगी को विधानसभा में उप नेता के पद से हटा दिया गया है। माना जा रहा था कि रेणु, अजीत जोगी के साथ जा सकतीं हैं। इससे पहले वो इस्तीफा देतीं, उन्हे पद से हटा दिया गया। 

उइके व डहरिया कार्यकारी अध्यक्ष महंत संभालेंगे चुनाव अभियान
राहुल गांधी ने अध्यक्ष बनने के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बड़ा फेरबदल किया है। इसमें जो सबसे बड़ा कदम उठाया गया, वह है-तीन बड़े नेता जो मुख्यमंत्री पद के दावेदार बताए जा रहे थे, उनके बीच शक्ति संतुलन का। इसके अलावा अजीत जोगी की जोगी कांग्रेस के गठन के बाद से बनी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर निर्णय लिए गए हैं। जैसे कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए रामदयाल उइके और शिव डहरिया दोनों ही जोगी के करीबी नेता रहे हैं। चुनाव के पहले ये उनके साथ न चले जाएं, यह सोचकर दोनों को पीसीसी में बड़ा पद दे दिया गया। इसी प्रकार डहरिया से एससी वोट और उइके से आदिवासी वोट साधने का सीधा प्रयास है। इन दो के अलावा जोगी के सबसे करीबी माने जाने वाले आदिवासी विधायक कवासी लखमा को भी विधायक दल का उपनेता बनाकर नया दांव खेला गया है। ये भी आदिवासी वर्ग से आते हैं और तीन बार के विधायक हैं। बस्तर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।

चुनाव के लिए बनी पांच समितियां
पीसीसी की अनुशासन समिति और संचार विभाग का भी गठन किया गया है। इसमें अनुशासन समिति का अध्यक्ष बोधराम कंवर को और संचार विभाग का अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी को बनाया गया है। इसके अलावा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पांच समितियां भी बनाई गई हैं। इसमें महंत को चुनाव अभियान समिति, सिंहदेव घोषणा पत्र समिति, भूपेश बघेल प्रदेश चुनाव समिति, रविंद्र चौबे प्लानिंग व स्ट्रेटजी कमेटी, राम गोपाल अग्रवाल को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।

महंत की अगुवाई में 33 नेता संभालेंगे चुनाव की कमान
विधानसभा चुनाव अभियान की कमान डॉ चरण दास महंत को दी गई है। चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने साफ कर दिया है कि महंत की भूमिका आने वाले दिनों में महत्वपूर्ण रहने वाली है। 33 लोगों की इस समिति में पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं के साथ ही हर वर्ग के नेताओं को शामिल किया है। इसमें भूपेश बघेल, सिंहदेव, धनेंद्र साहू, रविंद्र चौबे, मोहम्मद अकबर, अमितेश शुक्ला, राम पुकार सिंह, राजेंद्र तिवारी, प्रेम साय सिंह, गंगा पोटाई, लखेश्वर बघेल, राम दयाल उइके, मनोज मंडावी, शिव डहरिया, किरणमयी नायक, गुरुमुख सिंह होरा, पीआर खूंटे आदि नेताओं को शामिल किया है।

रेणु जोगी पर पार्टी का रूख साफ
रेणु जोगी को उपनेता प्रतिपक्ष के पद से हटाकर पार्टी ने उनके प्रति अपना रूख साफ कर दिया है। उनकी जगह कवासी लखमा को उप नेता प्रतिपक्ष बनाकर पार्टी ने आदिवासी वर्ग के बीच संदेश देने की कोशिश की है कि आदिवासी हित उनकी प्राथमिकता में है। हालांकि, राजनीतिक हलकों में कार्यकारी अध्यक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष के पद पर आदिवासी नेता की नियुक्ति को आदिवासी वर्ग में पैठ बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 29 विधानसभा सीटों पर आदिवासी वर्गों का प्रभाव है। कांग्रेस की कोशिश इन सीटों पर बढ़त लेने की होगी।

गुटबाजी से बचने के लिए बांटे गए पद 
प्रदेश कांग्रेस में किए गए फेरबदल के कई राजनीतिक मायने हैं। नेताओं को दी गई जिम्मेदारी के पीछे पार्टी ने न केवल शक्ति संतुलन का प्रयास किया है बल्कि हर बार चुनाव के पहले होने वाले झगड़ों से बचने के लिए दांव भी खेला है। प्रमुख नेताओं को अलग-अलग जिम्मेदारी देकर उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने की कोशिश है।

हर बदलाव के पीछे क्या रणनीति है
1. चरणदास महंत: पिछले कुछ दिनों से महंत की सक्रियता बढ़ गई थी। ऐसा कहा जा रहा था कि सीडी कांड के बाद से महंत अपने लिए अधिक संभावना देख रहे हैं। इसलिए उनको चुनाव की कमान देकर महत्व बढ़ा दिया गया। साथ ही यह संदेश भी कि अब सारे नेताओं को मिलकर चलना होगा।

2. शिव डहरिया: जोगी के करीबी होने के संदेश को खत्म करने के लिए कार्यकारी अध्यक्ष का पद दिया गया। वैसे भी जोगी कांग्रेस के नेताओं को संदेश देने के लिए डहरिया को आगे किया गया है। वे एससी वर्ग के लिए पार्टी का चेहरा भी बना दिए गए हैं।

3. रामदयाल उइके: उइके ने 2003 में जोगी के लिए मरवाही सीट खाली करके भाजपा छोड़ दी थी। उसके बाद से जोगी के करीबी रहे। नेताम बंधुओं और अन्य नेताओं के पीछे होने के बाद उइके का कद बढ़ाया गया। इससे अंदरूनी राजनीति साध ली गई। साथ ही बड़े वर्ग को राजनीतिक संदेश भी गया।

4. कवासी लखमा: तीन बार के विधायक और जोगी के सबसे विश्वस्त लोगों में रहे। बस्तर के मजबूत आदिवासी नेता हैं। रेणु जोगी को हटाने के बाद जोगी के ही विश्वस्त को विधायक दल का उपनेता बनाकर जोगी समर्थकों को पार्टी में महत्व देने का संदेश। ताकि आगे तोड़फोड़ ना हो सके।

5. रेणु जोगी: जोगी कांग्रेस के गठन के बाद से रेणु के कांग्रेस छोड़ने की अटकलें लगती रही हैं। जोगी ने भी कहा है कि रेणु उनकी पत्नी हैं, उनके साथ रहेंगी। इस कारण कांग्रेस ने उनको हटाकर पहले ही स्पष्ट कर दिया कि अब उनका महत्व पहले जैसा नहीं है। रेणु के कदम का पार्टी को इंतजार है।

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