केरोसिन घोटाला: मौत के 12 साल बाद तक करता रहा कारोबार | MP NEWS

इंदौर। यदि बुरहानपुर जिला आपूर्ति नियंत्रक के दस्तावेजों को सही मानें तो अहमद साहब पिता नूर साहब अपनी मौत के 12 साल बाद तक जिंदा थे। विभाग उनके केरोसिन लाइसेंस को उनकी मौत के 12 साल बाद तक नवीनीकरण करता रहा। चौंकाने वाली बात तो यह है कि एक जांच के दौरान BURHANPUR जिला प्रशासन ने 12 हजार लीटर अवैध केरोसिन पकड़ा और प्रकरण भी अहमद साहब के नाम से ही बना दिया, कलेक्टर कोर्ट में केस भी चला। परिवारजनों ने कमिश्नर कोर्ट में अपील की तब कहीं जाकर मामले का खुलासा हुआ। बता दें कि अहमद साहब की मृत्यु 2005 में हो गई थी जबकि लाइसेंस 2017 तक रिन्यू किया जाता रहा। 

अवैध कारोबारियों और प्रशासन के गठजोड़ के इस दिलचस्प मामले का पटाक्षेप कमिश्नर के ताजा आदेश से हुआ है। कमिश्नर ने कलेक्टर के उस आदेश को शून्य कर दिया है, जिसमें मृत लाइसेंसी के नाम केस दर्ज किया था। साथ ही 2005 से 2017 तक केरोसिन का अवैध व्यापार करने वाले भागीदारों के खिलाफ मुकदमा और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के दोषी अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश जारी किए हैं।

इस पूरे मामले में जिला आपूर्ति नियंत्रक कार्यालय के अफसरों और केरोसिन कारोबारियों की गठजोड़ साफ नजर आ रहा है। कमिश्नर न्यायालय के आदेश में साफ तौर पर कहा गया है कि प्रोप्रायटर की मौत के बाद भी बिना जांच के वर्ष 2005 से 2017 तक लगातार केरोसिन लाइसेंस का नवीनीकरण करना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में अवैध तरीके से चल रही केरोसिन की दुकान में आग और मौतों की घटना की पुनरावृत्ति से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

अफसरों की मिलीभगत से चलता रहा केरोसिन का कालाबाजार
अहमद साहब को वर्ष 2002 में अमरज्योति ट्रेडर्स के नाम से केरोसिन के कारोबार का लाइसेंस मिला था। सबकुछ ठीक चलता रहा, लेकिन वर्ष 2005 में प्रोप्रायटर अहमद साहब की मौत हो गई। नियमानुसार प्रोप्रायटर की मृत्यु के बाद लाइसेंस स्वतः निरस्त हो जाता है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। 

हर दो साल में लाइसेंस का नवीनीकरण कराना होता है। लाइसेंसी अहमद साहब से जुड़े पार्टनर उनकी मौत के बाद भी अहमद साहब के नाम पर ही लाइसेंस का नवीनीकरण कराते रहे। इसमें भागीदारों के रूप में प्यारे साहब अब्दुल रज्जाक, शेख रईस, सलीम मोहम्मद साहब के नाम सामने आए हैं। इस धंधे में जिला आपूर्ति नियंत्रक कार्यालय के अधिकारी भी शामिल हो गए। जिम्मेदार अधिकारी जांच-पड़ताल और स्थल निरीक्षण किए बिना मृत प्रोप्रायटर के नाम पर ही केरोसिन लाइसेंस का नवीनीकरण करते रहे।

आपूर्ति नियंत्रक की गैरकानूनी दलील
जब जिला आपूर्ति नियंत्रक केएस बामनिया से पूछा गया तो उन्होंने भागीदार कारोबारियों का बचाव करते हुए कहा कि भागीदार फर्म में लाइसेंस का नवीनीकरण हो सकता है। कंपनी एक्ट के तहत उनका एग्रीमेंट भी है। जब कमिश्नर के आदेश का पता चला तो उनके सुर बदल गए। कहने लगे मैं तो 2015 में आया हूं। मेरे आने से पहले ही लाइसेंस का नवीनीकरण हो चुका था।

यदि केरोसिन लाइसेंस का नवीनीकरण करने में खाद्य विभाग के अफसरों ने लापरवाही की है तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। जिन्होंने बेईमानी की है, वे भुगतेंगे जरूर। कमिश्नर ने जो आदेश दिया है उसका पालन किया जाएगा। 
दीपक सिंह, कलेक्टर, बुरहानपुर

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