TCS की शिवराज सरकार को धमकी, ठप कर देंगे सारी आॅनलाइन सेवाएं | mp news

भोपाल। पटवारी परीक्षा के पहले ही दिन बड़ी तकनीकी गड़बड़ी के कारण सुर्खियों में आई कंपनी TATA CONSULTANCY SERVICES ने अब शिवराज सिंह सरकार को धमकी दी है कि यदि उसे सरकार ने वित्तीय मदद नहीं दी तो वो काम बंद (ONLINE SERVICES) कर देगी। बता दें कि शिवराज सरकार इसी कंपनी की मदद से पूरे सरकारी सिस्टम का कंप्यूटराइजेशन कर रही है। 8 लाख से अधिक पूर्व व वर्तमान कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के भुगतान यही कंपनी करती है। लचर व्यवस्था के कारण सरकार ने इस कंपनी पर 7 करोड़ की पेनाल्टी लगाई तो कंपनी ने 70 करोड़ का नुक्सान दिखाते हुए वित्तीय मदद का दावा कर दिया। 

वित्त विभाग के अधिकारियों का साफ्ट कॉर्नर
पत्रकार अनिल गुप्ता की रिपोर्ट के अनुसार टीसीएस सिस्टम के कंप्यूटराइजेशन (आईएफएमआईएस या एकीकृत वित्तीय प्रबंधन सूचना प्रणाली) का काफी काम कर चुकी है। कुल 31 करोड़ रुपए का भुगतान भी टीसीएस को किया जा चुका है, इसलिए वित्त विभाग इस कोशिश में है कि टीसीएस को ही वित्तीय मदद देकर उससे काम करा लिया जाए। विभाग ने अपनी अनुशंसा के साथ कैबिनेट के लिए प्रेसी भेज दी है। अब यह फैसला कैबिनेट को लेना है। गौरतलब है कि कंप्यूटराइजेशन पर कुल 150 करोड़ रुपए का व्यय होना है। 

16 में से 5 मॉड्यूल पूरी तरह से काम कर रहे हैं। तीन आंशिक रूप से आपरेशनल है। बाकी का काम दिसंबर 18 तक पूरा होने की संभावना है। डिजास्टर रिकवरी सेंटर मार्च 2017 से शुरू हो चुका है। इतने समय तक हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर इंस्टॉलेशन समेत मैन पावर का काम और बढ़ गया। काम करते-करते काफी पैसा खर्च हो चुका है जो बजट से 70 करोड़ ज्यादा है। सूत्रों के मुताबिक टीसीएस इसे ही नुकसान बता रही है।

सरकार को डराने वाला डाटा
ट्रेजरी के 2003 से चल रहे कंप्यूटराइजेशन के काम पर प्रभाव पड़ेगा। 
केंद्र सरकार का साॅफ्टवेयर लोक वित्त प्रबंधन सिस्टम व राज्य लोक वित्त प्रबंधन, जीएसटी के साथ बजट के काम बंद हो जाएंगे। 
वेतन, पेंशन के भुगतान के साथ डीडीओ के काम मैनुअल कराने पड़े तो दिक्कत होगी। 
ई-भुगतान, डीबीटी और ऑनलाइन प्राप्तियां रुक जाएंगी। 

2015 तक पूरा काम करना था 2017 तक नहीं हुआ
जुलाई 2010 में टीसीएस से अनुबंध हुआ। इसके अनुसार हार्डवेयर की डिलीवरी और उसे इंस्टाॅल करने पर हुई खर्च की राशि में से 80% का भुगतान तुरंत होगा। सॉफ्टवेयर बनाने और चालू होने पर 15% राशि का भुगतान टीसीएस को होगा। उसे डाटा सेंटर, डिजास्टर रिकवरी सेंटर के लिए हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर न केवल इंस्टाॅल करना था, बल्कि उसे संचालित करने के लिए ट्रेनिंग के साथ मेंटेनेंस भी करना था। टीसीएस को तीन सब सिस्टम मानव संसाधन, वित्तीय प्रबंधन व पेंशन के साथ 16 मॉड्यूल बनाने थे। इसमें वित्त विभाग की सभी गतिविधियां हो जातीं। यह काम 2015 तक होना था। बाद में इसकी मियाद बढ़ाई गई। 

अफसर अपनी ही सरकार को डरा रहे हैं
वित्त विभाग के अफसर कंपनी का फेवर कर रहे हैं और अपनी ही सरकार को डरा रहे हैं। दलील दी जा रही है कि टीसीएस काम बंद करती है तो 31 करोड़ बेकार हो जाएंगे। सितंबर 2015 से डाटा सेंटर और एक तिहाई अन्य सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हो रहा है। टीसीएस को चरणबद्ध व सॉफ्टवेयर के हिसाब से मानकर काम करने दिया जाए। जीएसटी, 7वें वेतन आयोग जैसे कई कार्य नई आवश्यकताओं को देखते हुए टीसीएस से कराए गए हैं। इसी वजह से देरी हुई। 

टीसीएस की शर्तें
आधा काम अटकाने के बाद टीसीएस ने शर्तें थोप दी हैं। उसका कहना है कि प्रोजेक्ट की बकाया राशि के भुगतान के साथ वित्तीय मदद भी दें। भुगतान में कोई विलंब नहीं होना चाहिए। इसके बाद सिस्टम को चलाने के लिए जितने भी कर्मचारी लगेंगे, प्रति कर्मचारी 1.50 लाख रुपए पेमेंट करें। 

सरकार के पास क्या कोई विकल्प है
टीसीएस जैसी कई कंपनियां भारत में सेवाएं दे रहीं हैं लेकिन सरकारी अधिकारियों से संबंध बनाने में टीसीएस माहिर है इसलिए उसे ही सबसे ज्यादा काम मिलता है। मध्यप्रदेश सरकार के पास विकल्प है कि वो टीसीएस की किसी भी प्रतिस्पर्धी कंपनी को संविदा आधार पर 6 माह के लिए चुने। काम एक दिन के लिए भी ठप नहीं होगा। दूसरी कंपनी सारा सिस्टम टीसीएस से टेकओवर ले लेगी। 6 माह में टेंडर प्रक्रिया पूरी कर लें। 

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