MPPEB घोटाला: आरक्षित पदों का लाभ अनारक्षितों को दे दिया | MP NEWS

भोपाल। व्यापमं घोटाले के बाद नए नाम से शुरू किए गए पुराने परीक्षा मंडल प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) की भर्ती परीक्षा में घोटाला सामने आया है। MP POLICE की सब इंस्पेक्टर और प्लाटून कमांडर की परीक्षा (RECRUITMENT EXAM) में आरक्षित पदों का लाभ अनारक्षितों को दे दिया गया। इसे गड़बड़ी कहा जाता यदि शिकायत सामने आने पर बोर्ड सुधार कर लेता परंतु PEB के अफसरों ने ऐसा नहीं किया और जब आर​क्षण के अधिकारी मामला लेकर पीईबी आए तो अफसरों ने उन्हे यह कहकर चलता कर दिया कि 'अगली बार भर्ती निकले तब आवेदन करना।' अर्थात पीईबी के अधिकारियों ने मामले को दबाने की कोशिश की और पीड़ितों को गुमराह किया। 

क्या है मामला 
अब मामला पीएचक्यू में पहुंच गया है। पीएचक्यू ने पीईबी को शिकायत का समाधान करने के लिए पत्र लिखा है। जबकि पीईबी किसी भी गड़बड़ी के होने से इनकार कर रही है। पीईबी ने हाल ही में सब इंस्पेक्टर, प्लाटून कमांडर, स्पेशल ब्रांच और तकनीकी उपनिरीक्षकों के लिए 611 पदों के लिए भर्ती परीक्षा का रिजल्ट घोषित किया है। उम्मीदवारों ने मंगलवार को एडीजी (भर्ती व चयन) से मुलाकात कर परीक्षा में हुई गड़बड़ी से अवगत कराया है। 

हमने गड़बड़ी के संबंध में पीईबी को पत्र लिखा है 
पुलिस भर्ती में रिजर्व कोटे को लेकर गड़बड़ी की शिकायत है। कुछ उम्मीदवारों ने इसकी जानकारी दी है। चूंकि लिखित परीक्षा पीईबी ने आयोजित की थी, इसलिए हमने पीईबी कंट्रोलर से इस संबंध में फोन पर चर्चा की है और गड़बड़ी सुधारने के लिए पत्र भी भेज दिया है। 
प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव एडीजी (भर्ती व चयन), पीएचक्यू 

नियमों को दरकिनार कर दे दिया रिजर्वेशन का लाभ 
सब इंस्पेक्टर, प्लाटून कमांडर परीक्षा में पुलिस में 6 साल या इससे ज्यादा की नौकरी कर चुके कर्मचारियों के लिए 15 फीसदी (91) पद रिजर्व रखे गए हैं, लेकिन इस नियम को दरकिनार कर कई ऐसे उम्मीदवारों को रिजर्वेशन का लाभ दे दिया, जिनकी सेवा के 6 साल भी पूरे नहीं हुए। जबकि 7 से लेकर 19 साल की सेवा पूरी कर चुके उम्मीदवारों को लाभ नहीं दिया गया। इनमें अधिकांश कांस्टेबल हैं। 

पीईबी के स्तर पर कोई गड़बड़ी नहीं हुई है 
पुलिस भर्ती के लिए बने नियमों के मुताबिक ही लिखित परीक्षा में उम्मीदवारों को रिजर्वेशन दिया गया है। कुछ उम्मीदवारों ने शिकायत की थी, जिनका निराकरण कर दिया गया है। रहा सवाल दस्तावेजों का तो यह जांचना संबंधित विभाग का काम है। इसलिए कोई गड़बड़ी पीईबी स्तर पर नहीं हुई। 
एकेएस भदौरिया, परीक्षा नियंत्रक, पीईबी 

आवेदन प्रक्रिया में क्या गड़बड़ी हुई
पुलिस में 3 साल नौकरी कर चुके आशीष उमावा ने आवेदन में इसका स्पष्ट जिक्र है। बावजूद उन्हें रिजर्व कोटे में शामिल कर लिया। 
अजय कुमार को पुलिस में नौकरी करते 8 साल हो गए, लेकिन उन्हें रिजर्व कोर्ट में शामिल ही नहीं किया गया। 
कई उम्मीदवार ऐसे भी हैं, जिनके लिए उम्र के बंधन के कारण यह अंतिम मौका था, क्योंकि उनकी उम्र 37 साल हो चुकी है। 

इस तरह हुई गड़बड़ियां 
इस परीक्षा में रिजर्व रखे गए 15 फीसदी पदों पर भर्ती के लिए पुलिसकर्मियों को कम से कम 6 साल की सेवा पूरी करने पर ही लाभ देने का नियम बनाया गया है। फॉर्म के एक कॉलम में यह बताना था कि उसकी सर्विस कितने साल की है। यदि छह साल की सेवा पूरी करने वाला उम्मीदवार रिजर्वेशन का लाभ नहीं लेना चाहता है तो फॉर्म के एक अन्य कॉलम में इसकी जानकारी देना थी। ताकि यह स्पष्ट हो सके कि उम्मीदवार पात्र है या अपात्र। आॅनलाइन आवेदन में इसके लिए एक फिल्टर का उपयोग किया जाता है। यह बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है। फिल्टर लगा होने से यदि आवेदक अपनी सेवा अवधि 6 साल से कम बताता तो वो अपने आप अनारक्षित कोटे में चला जाता लेकिन पीईबी ने शायद यह फिल्टर नहीं लगाया। यह सामान्य चूक नहीं है क्योंकि पीईबी का काम ही केवल इतना है कि वो आवेदन ले और फिल्टर करके परीक्षाएं आयोजित करवाए। संभव है यह फिल्टर इसलिए नहीं लगाया ताकि आरक्षण का लाभ देने की प्रक्रिया कम्प्यूटराइज्य ना रखी जाए और इसका नियंत्रण अधिकारियों के हाथ में आ जाए। 

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