मप्र पुलिस भर्ती: रोजगार पंजीयन, पात्रता का आधार कैस हो सकता है | mp police job

शैलेन्द्र सरल। मप्र पुलिस विभाग में सहायक उप निरीक्षक, प्रधान आरक्षक और आरक्षक की 13 श्रेणियों में 14088 पदों पर भर्ती होना है। इसके लिए प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड ने 8 जून से 7 जुलाई तक एमपी ऑनलाइन के जरिए आवेदन मंगवाए थे। लिखित परीक्षा 19 अगस्त से 18 सितंबर तक चली। उत्तीर्ण उम्मीदवारों के 9 दिसंबर से फिजिकल टेस्ट शुरू हुए लेकिन रोजगार पंजीयन उनकी बड़ी समस्या हो गई है। जिनके पंजीयन निर्धारित तारीख में नहीं हैं उन्हे फिजिकल टेस्ट से बाहर निकाला जा रहा है। सवाल यह है कि पूरी तरह से बेकार हो चुके रोजगार कार्यालयों में पंजीयन किसी भी परीक्षा में पात्रता का आधार कैसे हो सकता है। 

सबसे पहले मूल बात को समझें
मप्र में रोजगार कार्यालयों की स्थापना एक प्लेसमेंट ऐजेंसी की तरह करने वाले संस्थान के तौर पर की गई थी। इसमें पंजीयन कराने वाले अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरियों के आॅफर भेजे जाते थे। भर्ती परीक्षाओं में रोजगार पंजीयन इसलिए अनिवार्य थे ताकि रोजगार कार्यालय को सूचित किया जा सके कि संबंधित उम्मीदवार को नौकरी दी जा चुकी है। रोजगार पंजीयन का इसके अलावा कोई उपयोग नहीं है। 

अधिकारियों का कुतर्क क्या है
अधिकारियों का कुतर्क है कि भर्ती परीक्षा में मध्यप्रदेश के उम्मीदवारों को ही मौका मिले, इसलिए पुलिस विभाग ने इस बार रोजगार पंजीयन अनिवार्य कराने का नियम लागू किया है। सवाल यह है कि मूल निवासी प्रमाण पत्र और आधार कार्ड इसी बात को प्रमाणित करते हैं कि संबंधित नागरिक किस प्रदेश का निवासी है। रोजगार पंजीयन इसका प्रमाण हो ही नहीं सकता कि संबंधित उम्मीदवार मध्यप्रदेश का निवासी है। यह गैरकानूनी है। 

परेशानी क्या है
फिजीकल टेस्ट में उम्मीदवारों को इसलिए बाहर निकाला जा रहा है कि क्योंकि उन्होंने भर्ती विज्ञापन सूचना जारी होने के बाद रोजगार पंजीयन कराया था। ऐसे लोगोें को भी धकिया दिया जा रहा है जिनके पास रोजगार पंजीयन नहीं है। सवाल यह है कि उम्मीदवार भर्ती विज्ञापन के पहले पंजीयन कराए या बाद में, इससे पंजीयन की वैद्यता कहां समाप्त हो जाती है। 

रोजगार कार्यालय ही बंद हो गए अब क्या करें
प्रतिभागियों का कहना है कि ऑनलाइन आवेदन शुरू होने के बाद से रोजगार पंजीयन की व्यवस्था खत्म हो चुकी थी। मूल निवासी प्रमाण पत्र ही प्रदेश के नागरिक होने के लिए पर्याप्त था। इसलिए उन्होंने रोजगार पंजीयन नहीं कराया। कुछ जिलों में तो रोजगार कार्यालय बंद भी हो चुके हैं। अब फिजिकल टेस्ट में उन्हें यह कहकर लौटाया जा रहा है कि उनका रोजगार पंजीयन 22 जुलाई 2017 के बाद का है। पंजीयन कराने की तारीख पात्रता की वजह नहीं बन सकती। 

हम कुछ नहीं कर सकते, ऊपर बात करें
जब पुलिस भर्ती की विज्ञप्ति निकली थी, तभी नियम-कायदे तय हो गए थे। उम्मीदवारों को रोजगार पंजीयन की परेशानी थी तो उन्हें तभी अपील करना चाहिए थी। यह बात सही है कि 22 जुलाई के बाद पंजीयन करने वाले उम्मीदवारों के हाथ से अवसर जा रहा है, लेकिन फिलहाल कुछ नहीं कह सकते। परीक्षार्थियों को चाहिए कि वे शासन स्तर पर अपील करें। उन्हें वहीं से रियायत मिल सकती है। 
प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव, एडीजी और प्रभारी पुलिस भर्ती 

हम कोर्ट जाएंगे, पूरी भर्ती प्रक्रिया पर स्टे लेंगे
प्रदेश में रोजगार पंजीयन की व्यवस्था खत्म होने से हमने पंजीयन नहीं कराया था। परीक्षा के समय पंजीयन कराने पर उसे मान्य नहीं किया जा रहा है। सालभर से लिखित परीक्षा और फिजिकल टेस्ट की तैयारी चल रही थी। लिखित परीक्षा में हमारे 90 फीसदी तक अंक आए हैं। ऐसे में सिर्फ पंजीयन दिनांक को आधार मानकर अपात्र घोषित करना अन्याय है। यदि हमें मौका नहीं दिया गया तो कोर्ट की शरण लेंगे। निर्मल जाट, सौरभ सक्सेना, विनीत गौड़, रूपेश मालवीय, सभी प्रतिभागी 

संडे को सीएम हाउस के सामने हो सकता है हंगामा
सोशल मीडिया पर ऐसे उम्मीदवार अपना आक्रोश जता रहे हैं और संगठित हो रहे हैं जिन्हे रोजगार पंजीयन के कारण बाहर कर दिया गया। सूत्रों का कहना है कि रविवार को सीएम हाउस के सामने प्रदर्शन की तैयारी की जा रही है। देखना रोचक होगा कि इस मामले में सीएम शिवराज सिंह क्या फैसला करते हैं। 
एडवोकेट श्री शैलेन्द्र सरल से संपर्क 9074757575

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