बेनामी संपत्ति मामले में फंसे कृषि मंत्री जवाब नहीं दे पाए, मांगी मोहलत | mp news

भोपाल। विधानसभा चुनाव 2018 से पहले मध्यप्रदेश के कई मंत्री कानूनी जाल में फंसते नजर आ रहे हैं। मंत्री लाल सिंह आर्य भिंड कोर्ट की कार्रवाई में अटके हैं तो कृषि मंत्री डॉ.गौरीशंकर बिसेन बेनामी संपत्ति मामले में उलझ गए हैं। मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट से बेरंग वापस लौट चुके मंत्री को हाईकोर्ट में जवाब पेश करना है। 22 नवम्बर को उन्हे 3 सप्ताह की मोहलत दी गई थी फिर भी जवाब पेश नहीं कर पाए। अब फिर से मोहलत मांग ली है। कोर्ट ने 6 सप्ताह की मोहलत दी है। 

यह मामला बालाघाट लांजी सीट से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक किशोर समरीते और पूर्व विधायक कंकर मुंजारे द्वारा डॉ.बिसेन के खिलाफ लोकायुक्त जांच की आवश्यकता पर जोर दिए जाने से संबंधित है। गुरुवार को चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच के समक्ष सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता समरीते के वकील ने दलील दी कि 2008 से 2012 के दौरान डॉ.गौरीशंकर बिसेन ने अकूत संपत्ति अर्जित की है। चूंकि यह सपंत्ति उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक है, अत: 2012 में यह जनहित याचिका दायर करके लोकायुक्त जांच की आवश्यकता पर बल दिया गया।

19 जून 2014 को हाई कोर्ट ने लोकायुक्त जांच के दिए थे निर्देश
हाई कोर्ट ने इस मामले पर 2012 से सुनवाई शुरू की। इसी प्रक्रिया में 19 जून 2014 को लोकायुक्त जांच के निर्देश दे दिए। साथ ही यह भी साफ किया कि यदि लोकायुक्त जांच में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में सच्चाई पाई जाए तो लोकायुक्त अपराध पंजीबद्ध कर विधिवत कार्रवाई को अंजाम दे। हाई कोर्ट ने पूर्व विधायक कंकर मुंजारे के हस्तक्षेप आवेदन पर गौर करने के बाद उन्हें लोकायुक्त को डॉ.गौरीशंकर बिसेन के खिलाफ दस्तावेज मुहैया कराने स्वतंत्र कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट लौटाया मामला
समरीते के वकील ने अवगत कराया कि हाई कोर्ट के 19 जून 2014 के लोकायुक्त जांच के निर्देश संबंधी आदेश के खिलाफ डॉ.गौरीशंकर बिसेन सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंच गए थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को उचित पाते हुए किसी तरह का हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए केस वापस हाई कोर्ट लौटा दिया। इसके बाद 20 मार्च को हाई कोर्ट ने डॉ.गौरीशंकर बिसेन को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया। चूंकि अब तक जवाब प्रस्तुत नहीं हुआ इसलिए सख्त निर्देश जारी किए जाएं। इस पर डॉ.बिसेन के वकील ने जवाब के लिए मोहलत मांग ली। हाईकोर्ट ने 6 सप्ताह का समय दे दिया। मामले की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी।

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