विधायकों ने आयोजित करवाई चुंबन प्रतियोगिता | KISSING CONTEST IN JHARKHAND

नई दिल्ली। सर्दियों के मौसम में सरकारें खेल प्रतियोगिताओं को प्रोत्साहित करतीं हैं। कई राजनेता भी प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं ताकि लोगों को मौसम की मार से थोड़ी देर के लिए ही सही लेकिन राहत मिले और आनंद भी। झारखंड में झामुमो के 2 विधायकों ने पाकुड़ में थाईलैंड के तर्ज पर डुमरिया सिद्धो कान्हू मेला में चुम्‍बन प्रतियोगिता का आयोजन कर डाला। अब भाजपा इसे संस्कृति का अपमान बता रही है। 

मेला समिति द्वारा इस प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। यह पूर्व घोषित था। इस चुम्‍बन प्रतियोगिता में दर्जनों जोड़ों ने एक-दूसरे को किस किया। डुमरिया सिद्धो कान्हू मेला में पहली बार मेला समिति द्वारा इस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। विवाहित महिला-पुरूषों ने इस प्रतियोगिता में भाग लेकर यह दिखाने का भी प्रयास किया कि वे अब आधुनिक युग में जीना चाहते हैं।

गौरतलब है कि लिट्टीपाड़ा प्रखंड के डुमरिया गांव में झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक साइमन मरांडी द्वारा प्रतिवर्ष यहां मेला का आयोजन कराया जाता है। मेले में जिले के सभी आदिवासी पहाड़िया समाज के लोग हिस्सा लेते हैं और मेले में लोगों के मनोरंजन के लिए आदिवासी एवं पहाड़िया नृत्य, गीत भी प्रस्तुत किया जाता है।

भाजपा को आयोजन के बाद हुई आपत्ति
पूर्व घोषित कार्यक्रम का भाजपा ने कोई विरोध नहीं किया। आयोजन सम्पन्न हो जाने के बाद भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष हेमलाल मुर्मू ने हूल मेला के नाम पर चुंबन प्रतियोगिता आयोजित कराने वाले झामुमो के दोनों विधायक साइमन मरांडी और स्टीफन मरांडी को निलंबित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह संथाल की सभ्यता और संस्कृति के खिलाफ है। महिला शक्ति का खुल्लम-खुल्ला अपमान है। मुर्मू सोमवार को भाजपा मुख्यालय में मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उनके साथ पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव और दीनदयाल वर्णवाल भी थे। 

पहले ईसाईयों से जोड़ा फिर देशभक्ति से
मुर्मू ने कहा कि ईसाई मिशनरियों के इशारे पर झामुमो संथालपरगना को येरुशलम बनाना चाहती है। संथाल समाज में कभी भी इस प्रकार की परंपरा-रिवाज नहीं रही है। संथालपरगना क्षेत्र के मांझी ग्राम प्रधानों से झामुमो को माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से दोनों विधायकों को मंगलवार से शुरु होने वाले विधानसभा सत्र में भाग नहीं लेने देने तथा निलंबित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह मेला सिदो-कान्हू के नाम पर आयोजित होता है जबकि यह समय तो हूल क्रांति दिवस का है तो उन शहीदों के जन्म दिवस का। उनके नाम पर मेला लगाकर नारी शक्ति का अपमान करना है। यह उन अमर शहीदों के बलिदान का भी अपमान है। पूरे संथाल क्षेत्र में ऐसे जनप्रतिनिधियों का विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक वे समाज से माफी नहीं मांगते। 

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