हैदराबाद। उर्दू के दैनिक अखबार SIASAT DAILY में छपी खबर के बाद शहर में हालात बदल गए हैं। बैंकों के बाहर लंबी कतारें लगीं हैं और लोग BANK में जमा अपना सारा पैसा वापस मांग रहे हैं। बैंक अधिकारी प्रति व्यक्ति अधिकतम 20 हजार रुपए देने की बात कर रहे हैं परंतु लोग आक्रोशित हैं और पूरा पैसा वापस चाहते हैं। एक लोकल रिपोर्ट के अनुसार बैंकों से करोड़ों रुपए निकाले जा चुके हैं। यह सबकुछ एफआरडीआई बिल के कारण उत्पन्न हुए संदेह के चलते हो रहा है। बैंक कर्मचारियों ने भी इस संशोधन का विरोध किया है। कहा जा रहा है कि इस बिल में बैंकों को कुछ ऐसे अधिकार दिए जा रहे हैं, जिससे बैंक यदि दिवालिया होता है तो वो खाताधारकों का पैसा हड़पकर अपना खर्चा चला सकता है।
बैंक प्रबंधक लोगों को शांत करने और समझाने की कोशिश कर रहे हैं। बैंक अधिकारी लोगों से कह रहे हैं कि कम से कम तब तक इंतजार करें, जब तक एफआरडीआई बिल संसद में पारित नहीं हो जाता। मगर, कोई भी सुनने के लिए तैयार नहीं है। बैंक अधिकारी भी इस स्थिति में नहीं हैं कि वे लोगों को यह आश्वासन दे सकें कि प्रस्तावित विधेयक ग्राहकों के हितों की रक्षा करेगा। विभिन्न संगठन और बैंक कर्मचारी प्रस्तावित विधेयक में संशोधन की मांग कर रहे हैं।
बिल के संशोधन के लिए बैंक कर्मचारियों के विरोध करने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार का यह प्रस्तावित बिल ग्राहकों के पक्ष में नहीं है। दो दिन पहले उर्दू के दैनिक अखबार सियासत डेली में प्रकाशित खबर के बाद ग्राहकों की लंबी कतारें बैंकों में देखी गईं। लोग बैंकों से अपना पैसा निकालना चाहते हैं, लेकिन उन्हें 20 हजार रुपए से ज्यादा राशि नहीं दी जा रही है। शहर में कई एटीएम खाली हो चुके हैं। प्रस्तावित विधेयक में दिवालिया हो जाने की स्थिति में बैंकों के हितों की रक्षा की बात कही गई है।