जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कलेक्टर का वह आदेश विधिसम्मत न पाते हुए निरस्त कर दिया, जिसके जरिए घोटाले के आरोपी पंचायत सचिव को समुचित सुनवाई का अवसर दिए बिना बर्खास्त कर दिया गया था। साथ ही निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को नए सिरे से नोटिस जारी कर उसका पक्ष सुना जाए। यह समस्त प्रक्रिया पूरी करने 6 सप्ताह की समयावधि निर्धारित की गई है।
न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता छतरपुर जिलांतर्गत जनपद पंचायत बड़ा मलहरा की ग्राम पंचायत परा के बर्खास्त पंचायत सचिव धर्मदास अहिरवार की ओर से अधिवक्ता एडी मिश्रा ने पक्ष रखा।
बलि का बकरा एक को बनाया
उन्होंने दलील दी कि 2014 में ग्राम पंचायत में करोड़ों के घोटाले का प्रकरण सामने आया। जिसके बाद विधिवत जांच के जरिए बजाए वास्तविक आरोपियों को सजा दिलाने के पंचायत सचिव को बलि का बकरा बना दिया गया। शिकायत सामने आने के बाद 2014 से 2016 तक कोई जांच नहीं की गई। इसके बाद समुचित सुनवाई का अवसर दिए बिना याचिकाकर्ता को पहले निलंबित और बाद में शासकीय सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।