CREDIT CARD धारकों को IT के नोटिस: 2 लाख पेमेंट पर 1.26 डिमांड | MP NEWS

भोपाल। INCOME TAX DEPARTMENT ने क्रेडिट कार्ड से PAYMENT करने वालों को NOTICE जारी कर दिए हैं। यह प्रक्रिया लगातार जारी है। विभाग ने सभी से क्रेडिट कार्ड से किए गए पेमेंट के रीपेमेंट का स्रोत पूछा है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि TAX अदायगी सजगता के साथ हो रही है या नहीं। अगर उनकी उतनी आय थी तो इसके मायने यह हैं कि वे उस पर टैक्स दे चुके हैं। नतीजतन आयकर विभाग ये मामले बंद कर देगा, लेकिन वे उन स्रोत के जरिए पेमेंट बताते हैं जहां इतनी आय संभव ही नहीं थी तो क्रेडिट कार्ड के पूरे पेमेंट को उनकी आय मानकर टैक्स का निर्धारण किया जाएगा। 

इन मामलों में यह समस्या आ रही है कि लोेग न तो आयकर विभाग के नोटिस का जवाब दे रहे हैं और न ही सामने आ रहे हैं। इनके वर्तमान पते ठिकाने ढूंढ़ना आयकर विभाग के लिए बड़ी समस्या है। भोपाल जोन में 50 असेसिंग ऑफिसर हैं और हर एक के पास करीब 20 से 25 क्रेडिट कार्ड पेमेंट से जुड़े मामले हैं। 

क्रेडिट कार्ड का पेमेंट करने वाले कई लोग भोपाल में रहते हैं। उन्हें जब ये नोटिस मिला तो वे इसे बैंक का रिकवरी नोटिस मान बैठे। वे तत्काल आयकर विभाग अपना जवाब लेकर पहुंचे और बताया कि वे बैंक को पैसा भर चुके हैं। वहां उन्हें बताया गया कि ये नोटिस बैंक का नहीं आयकर विभाग का है। 

2 लाख के पेमेंट पर 1.26 लाख का डिमांड नोटिस
बैंक स्ट्रीट में एक निजी जीवन बीमा कंपनी में बतौर जोनल मैनेजर काम करना वाले विजय श्रीवास्तव ने एक बैंक का क्रेडिट कार्ड लिया। उन्होंने 2014-15 के दौरान क्रेडिट कार्ड से 2.10 लाख रुपए का पेमेंट किया। बैंक ने सालाना सूचना रिपोर्ट में यह जानकारी दर्ज कर 2016 में आयकर विभाग को दी। विभाग ने विजय को नोटिस भेजकर जवाब मांगा, लेकिन वे शहर छोड़कर मुंबई चले गए। विभाग ने तय समय में जवाब नहीं मिलने पर 143 (2) के तहत स्क्रूटनी शुरू कर किए गए रीपेमेंट का स्रोत पूछा, लेकिन वे अपना पक्ष रखने नहीं पहुंचे। विभाग ने 144 (ए) के तहत उनके खिलाफ 2.10 लाख रुपए पर 30% यानी 63 हजार रुपए टैक्स और इतनी ही पेनाल्टी लगा दी। विभाग ने उनके खिलाफ कुल 1.26 लाख रुपए का डिमांड नोटिस जारी कर दिया। अब वे आयकर विभाग के चक्कर काट रहे हैं। 

इनका कहना है 
लोगों को समझना चाहिए कि आयकर विभाग दो लाख से ऊपर के सारे पेमेंट की जानकारी मांगता है। हर साल आयकर रिटर्न में यह जानकारी देनी चाहिए, लेकिन इन सभी मामलों में लोगों ने यह नहीं किया। अब यह कह रहे हैं कि नोटिस की जानकारी नहीं मिली, लेकिन वे पहले ही इसकी जानकारी दे देते तो यह नहीं होता। 
राजेश जैन, आयकर विशेषज्ञ 

आयकर अधिनियम 1961 की धारा 69 के तहत ये सारे पेमेंट अनएक्सप्लेंड एक्सपेंडिचर कहलाते हैं। इसकी जानकारी आयकर विभाग को देनी हाेती है। अन्यथा यह उस व्यक्ति की आय मान ली जाती है और इस पर टैक्स की गणना की जाती है। टैक्स समय पर न चुकाने वालों को नियमानुसार पेनाल्टी देनी होती है। यह टैक्स राशि का 200 फीसदी तक हो सकती है। 

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