दिवाला और कर्ज विवाद के लिए नियमन अधिसूचित | BUSINESS NEWS

नई दिल्ली। दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता / Insolvency and Bankruptcy Code के तहत शिकायत निपटान प्रक्रिया के लिये नियमनों को अधिसूचित कर लिया गया है। इसमें यदि शिकायत द्वेषपूर्ण भावना से अथवा हल्की प्रकृति की नहीं पाई जाती है तो उसे गंभीरता से लिया जायेगा और शिकायत फीस भी संबंधित पक्ष को रिफंड कर दी जायेगी। भारतीय दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता बोर्ड / ‪‪Insolvency and Bankruptcy Board of India (IBBI) इस संहिता को लागू कर रहा है। उसने कानून के तहत नियमनों को अधिसूचित किया है। यह नियम सभी हितधारकों पर लागू होंगे जिसमें ऋणदाता / Lender, कर्ज लेने वाले / Debtor और सेवा प्रदाता / Service provider शामिल हैंं

शिकायत के आधार पर आईबीबीआई संबंधित इकाई को कारण बताओ नोटिस जारी कर सकता है अथवा जांच का आदेश दे सकता है। कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय ने 10 दिसंबर को जारी विज्ञप्ति में कहा है, ‘‘नियमनों में आईबीबीआई द्वारा शिकायतों के उद्देश्यपरक और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत निपटारे की व्यवस्था की गई है। इसमें किसी भी शातिर सेवा प्रदाता को छोड़ा नहीं जायेगा जबकि किसी भी ईमानदार सेवा प्रदाता को परेशान नहीं किया जायेगा। आईबीबीआई कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय के अधीन आता है।

दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता, जो कि पिछले साल लागू हो चुकी है, के तहत बड़ी संख्या में मामले दायर किये जा चुके हैं। इस दौरान दिवाला प्रक्रिया में शामिल इकाइयों के खिलाफ कुछ शिकायतें प्राप्त हुई हैं। नियमन रूपरेखा के तहत दिवाला पेशेवर सेवायें देने वाली एजेंसी, दिवाला पेशेवर, दिवाला पेशेवरों की इकाई और सूचना सेवा के खिलाफ शिकायत की जा सकती है।

शिकायत 2,500 रुपये की फीस देकर एक विशिष्ट फॉर्म में भरकर दी जा सकती है। शिकायत यदि द्वेषपूर्ण भावना अथवा हल्की फुल्की नहीं लगती है तो फीस को रिफंड कर दिया जायेगा।
आईबीबीआई को यदि लगता है कि इसमें शुरुआती नजर में उल्लंघन का मामला दिखता है तो वह जांच और निरीक्षण का आदेश अथवा कारण बताओ नोटिस जारी कर सकता है।

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