आलोक शर्मा की महापौर एक्सप्रेस फेल, फिर भी कंपनी को फायदे की जुगाड़ | BHOPAL NEWS

भोपाल। राजधानी के मेयर आलोक शर्मा ने बड़ी ही शान से महापौर एक्सप्रेस की शुरूआत की थी लेकिन वो इसे चला नहीं पाए। एक्सप्रेस फेल हो गई। चौंकाने वाली बात तो यह है कि महापौर ने अपनी महत्वाकांक्षी एक्सप्रेस का संचालन एक प्राइवेट कंपनी को सौंप रखा था। कंपनी ने तमाम खामियों के बावजूद 20 लाख का बिल थमा दिया है। आलोक शर्मा ने भी बजाए एक्सप्रेस को बंद करने के इसे भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड (बीएससीडीसीएल) को ट्रांसफर कर दिया गया। ताकि कंपनी को फायदा मिलता रहे। 

महापौर आलोक शर्मा ने महापौर एक्सप्रेस के लिए सॉफ्ट टेक कंपनी के साथ कुछ ऐसा अनुबंध किया था कि कंपनी हर हाल में फायदे में रहेगी और यदि नुक्सान हुआ तो नगर निगम को होगा। अनुबंध की शर्तों के अनुसार सॉफ्ट टेक कंपनी को अगर रोजाना 100 कॉल नहीं आते तो इसके अंतर की राशि नगर निगम को भुगतान करनी थी। मजेदार बात तो यह है कि अनुबंध किया था कि छह महीने बाद कंपनी को घाटा हो या फायदा पूरी सर्विस देनी होगी लेकिन छह महीने पूरे होने ही वाले थे कि, इससे पहले ही नगर निगम ने महापौर एक्सप्रेस को स्मार्ट सिटी कंपनी के हवाले कर दिया।

अनुबंध की शर्तों में रोजाना 100 कॉल का भुगतान कंपनी को किया जाना था। 200 रुपए के हिसाब से 20 हजार रुपए होते हैं। इससे कम कॉल होने पर अंतर को नगर निगम को वहन करना था। निगम के पास 10 से 20 कॉल ही आते थे। इस हिसाब से हर रोज 80 से 90 कॉल के 16 से 18 हजार रुपए का भुगतान निगम को वहन करना है। निगम को 20 लाख रुपए कंपनी को भुगतान के रूप में देना है। चूंकि निगम के पास तंगहाली है, ऐसे में अब स्मार्ट सिटी कंपनी यह भुगतान करेगी।

यह थी योजना
25 जुलाई को महापौर एक्सप्रेस की लांचिंग हुई। इस दौरान कारपेंटर, इलेक्ट्रीशियन, माली, प्लंबर और ड्राइवर की सुविधा शुरू की गई। इस सेवा को स्मार्ट सिटी के भोपाल प्लस एप में शामिल किया गया। हर सुविधा के लिए दो घंटे के 200 रुपए शुल्क रखा गया। लांचिंग के दौरान रोजाना औसतन 50 से 60 कॉल आते थे, लेकिन बाद में औसतन 10 से 15 कॉल तक सिमटकर रह गए।

इसलिए फ्लॉप हुई महापौर एक्सप्रेस
कंपनी को हर महीने दो से तीन सेवाएं बढ़ानी थीं, ताकि लोगों की हर जरूरत महापौर एक्सप्रेस से पूरी हो सके, लेकिन पांच माह बाद भी एक भी सर्विस नहीं बढ़ी।
दूसरी वजह थी कि इसका व्यापक प्रचार-प्रसार ही नहीं किया गया। महापौर आलोक शर्मा ने शुभारंभ के समय अपने फोटो छपवाकर वाहवाही समेट ली और बस हो गया। 
वर्तमान में सुबह 8 से रात 8 बजे तक सेवा चालू है। इमरजेंसी वाली सेवाओं को 24 घंटे किया जाना था, जिस पर अमल नहीं हुआ।
निगम आयुक्त ने कंपनी को खुद का एप और कॉल सेंटर शुरू करने के निर्देश दिए थे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। साथ ही इसमें तैनात कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन कराने के भी निर्देश दिए गए थे।

30 से अधिक सेवाएं जुड़नी हैं
महापौर एक्सप्रेस में पेंटर, अकाउंटेंट, एयर कंडीशन रिपेयरिंग, घरेलू कामकाजी महिला, ब्यूटीशियन, होम ट्यूटर, कार क्लीनर, कुक, साफ-सफाई, पेस्ट कंट्रोल, फोटोग्राफर आदि मिलाकर करीब 30 सेवाएं जु़ड़नी हैं।

निगम के पास राशि नहीं है
निगम के पास राशि नहीं है, इसलिए महापौर एक्सप्रेस को स्मार्ट सिटी कंपनी को ट्रांसफर कर दिया गया है। अब तक निगम की ओर से कंपनी को कोई भुगतान नहीं हुआ है।
मलिका निगम नागर, अपर आयुक्त ननि

प्रचार-प्रसार करेंगे
महापौर एक्सप्रेस का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। जनता को घर बैठे अच्छी सर्विस मिले, इसके लिए जल्द ही बची हुई 25 सर्विस और जोड़ दी जाएंगी। अनुबंध की शर्तों के हिसाब से कंपनी को सपोर्ट किया जाएगा, इसके बाद पूरा संचालन कंपनी ही करेगी।
चंद्रमौलि शुक्ला, सीईओ, बीएससीडीसीएल

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