करोड़ों खर्च फिर भी गिरफ्तारी की तलवार: AJAY GOYANKA- JAI NARAYAN CHOUKSEY

भोपाल। CHIRAYU MEDICAL COLLEGE AND HOSPITAL के DIRECTOR Dr AJAY GOYANKA और LNCT GROUP के CHAIRMAN JAI NARAYAN CHOUKSEY ने अपनी गिरफ्तारियां टालने के लिए क्या नहीं किया। पहली बार जब नाम चर्चा में आया था तब से अब तक देश के तमाम दिग्गज प्रोफेशनल्स को करोड़ों रुपए फीस अदा कर चुके हैं। जयनारायण चौकसे तो अपना अखबार भी छाप चुके हैं परंतु मध्यप्रदेश के इन दिग्गज कारोबारियों के सिर पर गिरफ्तारी की तलवार अब भी लटकी हुई है। हाईकोर्ट ने उन्हे दुत्कारकर भगा दिया है। दोनों वारंटी कारोबारी हैं। अब उनकी कभी भी गिरफ्तारी हो सकती है या फिर वो गिरफ्तारी टालने के लिए कुछ और कानूनी दांवपेंच चल सकते हैं। 

व्यापमं घोटाले (VYAPAM SCAM) का एक सीरियल पीएमटी 2012 फर्जीवाड़ा (PMT 2012 SCAM) मामले में CBI के आरोपी गोयनका एवं चौकसे सहित एलएन मेडिकल कॉलेज के एडमिशन इंचार्ज डॉ. दिव्य किशोर सत्पथी, पीपुल्स यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. विजय कुमार पंड्या, डॉ. विजय के रमनानी, तत्कालीन डीएमई डॉ. एससी तिवारी और तत्कालीन ज्वाइंट डीएमई एनएम श्रीवास्तव की अग्रिम जमानत हाईकोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दी। 

यह कई छात्रों के भविष्य की सामूहिक हत्या का मामला है
चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय शुक्ला की खंडपीठ ने अपने फैसले में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि मेडिकल कॉलेज के संचालकों के कृत्यों चलते अनेक योग्य छात्र मेडिकल पाठ्यक्रमों में एडमिशन नहीं ले पाए और निराशा के शिकार हुए। कोर्ट ने कहा कि एडमिशन देने की पूरी प्रक्रिया नियमों के विपरीत थी, जिसके शिकार योग्य युवा छात्र बने। हाईकोर्ट ने अपने 25 पृष्ठीय फैसले में कहा कि आवेदकों पर भले ही किसी की जान लेने का आरोप नहीं है, लेकिन आरोप साबित हुए तो यह युवा छात्रों के जीवन से खिलवाड़ करने का घृणित अपराध होगा। यह कई छात्रों के कॅरियर की सामूहिक हत्या का केस हो सकता है। कोर्ट ने कहा यह अनेक युवाओं के भविष्य के संहार का मामला होगा। कोर्ट ने साफ कहा कि आरोपियों के खिलाफ बहुत ही संगीन आरोप हैं और इनकी गंभीरता को देखते हुए इन्हें गिरफ्तारी पूर्व जमानत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने आरोपियों की अधिक उम्र और गंभीर रोगों के एवज में जमानत मांगने की दलीलों को भी नकार दिया। 

सरेंडर का दिया था मौका 
हाईकोर्ट ने कहा कि तीनों आरोपियों को ट्रायल कोर्ट में हाजिर होने का पर्याप्त मौका दिया गया था। विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को 23 नवंबर को हाजिर होने के निर्देश दिए थे। जब कोई हाजिर नहीं हुआ तो अदालत ने मजबूर होकर गिरफ्तारी वारंट जारी किया। आरोपियों ने सरेंडर करने बजाए गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल कर दीं। 

जांच के दौरान मिली नरमी अग्रिम जमानत का अधिकार नहीं
कोर्टने अपने फैसले में कहा कि आरोपियों की दलील आकर्षक थी कि घोटाले की जांच के दौरान उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया और यदि अब गिरफ्तार किया जाता हैं तो यह उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का हनन होगा। कोर्ट ने आगे कहा- इसघोटाले में 500 से अधिक आरोपी हैं। जांच बहुत लंबी चली। जांच के दौरान गिरफ्तारी नहीं होने का अर्थ यह नहीं है कि अब आरोपी अग्रिम जमानत के अधिकारी हो जाएंगे। वो भी तब जब आरोप इतने संगीन हैं। 

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