AICC: 14 जनवरी के बाद फैसले सुनाना शुरू करेंगे राहुल गांधी | NATIONAL NEWS

नई दिल्ली। गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी की भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर ताजपोशी तो हो गई परंतु बतौर अध्यक्ष वो अपना काम 14 जनवरी मकर संक्रांति से शुरू करेंगे। इसके साथ ही राहुल गांधी के फैसले सुनाई देने लगेंगे और कांग्रेस का एक नया अवतार भी दिखाई देगा। बता दें कि राहुल गांधी को भाजपा के नेता ईसाई कहते हैं, शायद इसीलिए उन्होंने 14 जनवरी मकर संक्रांति का चुनाव किया। हिन्दू रीति-परंपरा के अनुसार 14 जनवरी को मकर संक्रांति के बाद शुभ काम को आगे बढ़ाया जाता है।

गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राहुल गांधी सोमनाथ मंदिर में गए। उन्होंने शिव की पूजा की। इसके बाद वह गुजरात की राजनीति में कुछ और बीज बो आए हैं। राहुल ने इसके जरिए भाजपा और गुजरात की जनता को साफ संदेश दे दिया है कि वह न तो डरते हैं और न ही आगे चुप बैठने वाले हैं। इस बारे में कांग्रेस पार्टी के एक महासचिव का कहना है कि राहुल के इस कदम का कर्नाटक, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मेघालय तक भी असर जाएगा। इन राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

होमवर्क कर रहे हैं कांग्रेस अध्यक्ष
जैसा गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल ने खुद को कहा कि उन्होंने काफी कुछ सीखा है। राहुल गांधी के करीबी कहते हैं सच में उन्होंने काफी कुछ सीखा है। राहुल गांधी के कार्यालय सूत्र का भी कहना है कि राहुल इन दिनों काफी मेहनत कर रहे हैं। वह काफी होमवर्क कर रहे हैं। यह होमवर्क कांग्रेस संगठन में बदलाव के लिए है। 

महिला कांग्रेस प्रमुख सुष्मिता देव को अपने नये पार्टी अध्यक्ष से काफी उम्मीदें हैं। राहुल का यह होमवर्क कांग्रेस के अंदरुनी ढांचे को दुरुस्त करने के लिए हो रहा है। वह आखिर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में काफी बदलाव चाहते हैं। माना जा रहा है कि 14 जनवरी के बाद पार्टी के कोषाध्यक्ष, महासचिव, सचिव, विभागों के प्रभारियों में बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के पदाधिकारियों को लेकर काफी समय से लंबित मामलों में वह निर्णय लेंगे। इसके अलावा राहुल गांधी की कोशिश कांग्रेस सेवा दल से लेकर अन्य विभागों, संगठनों में जान फूंकना भी है।

क्षेत्रीय नेताओं पर जोर
कांग्रेस अध्यक्ष पिछले 25 साल से कांग्रेस के केन्द्रीय संगठन में रुकी हुई राजनीतिक प्रक्रिया को धार देंगे। कांग्रेस पार्टी की आईटी सेल से जुड़े सूत्र के अनुसार वह पार्टी को व्यवहारिक बनाने के लिए काफी सावधानी के साथ तैयारी कर रहे हैं। इसमें क्षेत्रीय नेताओं को मजबूत बनाना और नये चेहरों को अवसर देना शामिल है।

राहुल गांधी चाहते हैं कि प्रदेश और जिला स्तर पर कांग्रेस पार्टी मजबूत हो। वह आम लोगों की आवाज बने। इसके लिए जरूरी है कि 70, 80 के दशक वाली कांग्रेस की तरह हर राज्य और क्षेत्र में पार्टी का दमदार चेहरा हो।  कांग्रेस पार्टी के एक महासचिव का भी मानना है कि चेहरा और चेहरों में तालमेल की ही पार्टी में कमी है। 

सूत्र का कहना है कि मप्र में पार्टी के पास नेताओं की कमी नहीं है। कद्दावर और जनाधार वाले चेहरे हैं। यही स्थिति कभी छत्तीसगढ़ में थी, लेकिन राजनीतिक चुनौती आने पर कांग्रेस के नेता एक नहीं हो पाते। यही वजह है कि मप्र, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस काफी समय से सत्ता से दूर है।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !