मप्र: 225 करोड़ का ई-नगर पालिका घोटाला ? | MP NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश में 225 करोड़ की ई-नगर पालिका योजना में घोटाले का संदेह पुख्ता होने लगा है। सरकार ने योजना की शुरूआत की फिर डॉ. राज सिंह, स्पेशल इकॉनामिक जोन, निवासी त्रिवेंद्रम (केरल) ने एक शिकायत की और लोकायुक्त पुलिस ने योजना के सारे दस्तावेज जब्त कर लिए। सबकुछ 2015 में हो गया, इसके बाद कुछ नहीं हुआ। ना योजना के तहत काम हुआ ना लोकायुक्त की जांच आगे बढ़ी। संदेह यह है कि कहीं यह एक नए किस्म का घोटाला तो नहीं। एक सिंडिकेट, जिसने प्लानिंग के साथ योजना बनाई, शिकायत करवाई और फाइलें जब्त करवाकर योजना ठप करा दी। सरकारी खजाने के 225 करोड़ गप। यदि ऐसा नहीं है तो फिर क्यों 2 साल से सबकुछ रुका हुआ है। जागरुक शिकायतकर्ता को भी अब कोई परेशानी नहीं है। 

पत्रकार श्री शैलेंद्र चौहान की रिपोर्ट के अनुसार नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने 2015 में 225 करोड़ रुपए की ई-नगर पालिका योजना का काम यूएसटी ग्लोबल को सौंपा था। जिसका विधिवत शुभारंभ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 1 अप्रैल 2017 को किया था, लेकिन हकीकत यह है कि आज प्रदेश का एक भी नगरीय निकाय ऐसा नहीं है, जहां सारी सेवा ऑनलाइन मिल रही हो। दूसरी ओर सवा साल पहले यूएसटी ग्लोबल को गलत तरीकों से काम देने की शिकायत लोकायुक्त पुलिस को की गई थी। तभी से लोकायुक्त पुलिस के पास योजना के सारे दस्तावेज जब्त हैं और जांच पेंडिंग है। विभाग ने ये काम 2015 में यूएसटी ग्लोबल कंपनी को सौंपा था। शर्त थी कि कंपनी पहले दो साल में काम शुरू करेगी और 2022 तक मेंटेनेंस का काम संभालेगी। 

हमारे पास कोई रिकॉर्ड नहीं: 
प्रोजेक्ट के बारे में आरटीआई से जानकारी मांगने पर नगरीय विकास विभाग ने इंकार करते हुए तर्क दिया कि विभाग और कंपनी के बीच होने वाले अनुबंध के सारे मूल दस्तावेज लोकायुक्त पुलिस ने 26 जुलाई 2017 को जब्त कर लिए हैं। विभाग के पास अनुबंध से जुड़े किसी दस्तावेज की प्रति मौजूद नहीं है। 

मैं फिलहाल कुछ नहीं कह सकता 
लोकायुक्त संगठन में जांच पेंडिंग चल रही है। इस पर मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता हूं। 
नरेश कुमार गुप्ता, लोकायुक्त 

शिवराज सिंह की बुदनी का विंडो दिखा रहा डोमेन एक्सपायर 
ई-नगर पालिका पोर्टल पर ही प्रोजेक्ट की सच्चाई सामने आ जाती है। इसके वेब पोर्टल में सिटी वाले विंडो में केवल सात शहर दिखते हैं। यह पायलट प्रोजेक्ट था, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा बुदनी नजर आती है। बुधनी वाला विंडो खोलते ही डोमेन एक्सपायर दिखता है। केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज के संसदीय क्षेत्र विदिशा में सिर्फ दो ही सुविधाएं ऑनलाइन हैं। मंत्री गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह की विधानसभा क्षेत्र वाले निकायों में चंद सुविधा को छोड़कर सब कुछ मैन्युअल हो रहा है। 

शिकायत और जांच दोनों संदेह के घेरे में
प्रोजेक्ट शुरुआत में ही विवादों में घिर गया था। इसकी शिकायत केंद्र सरकार, मुख्य सचिव, लोकायुक्त और कैग को की गई है। शिकायत डॉ. राज सिंह, स्पेशल इकॉनामिक जोन, त्रिवेंद्रम (केरल) के पते से की गई थी। कैग की टीम ने दस्तावेजों की विस्तार से जांच की। इसके बाद लोकायुक्त संगठन मूल दस्तावेज जब्त कर चुका है। लोकायुक्त में जांच प्रकरण वि/38/08/2015-2016 दर्ज है। इसका तकनीकी परीक्षण चल रहा है। अभी किसी जांच एजेंसी की तरफ से विभाग को क्लीन चिट नहीं दी गई है। इस मामले में शिकायकर्ता और जांच दोनों संदेह के घेरे में हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि 225 करोड़ गप कर जाने के लिए यह शिकायत की गई और फिर जांच के नाम पर दस्तावेज जब्त कर मामले को लटका दिया गया। 

एक भी​ निकाय में सारी सुविधाएं नहीं
प्रदेश के 51 जिलों में 377 नगरीय निकाय हैंं, लेकिन ऐसा एक भी नगरीय निकाय नहीं, जो सारी 18 सुविधाएं ऑनलाइन दे ही हो। हालांकि इंदौर नगर निगम ऑनलाइन सुविधा देने में सबसे आगे है, क्योंकि यहां पहले से ही ज्यादातर सुविधाओं को डिजिटलाइज्ट कर दिया गया था। इसके बाद भी यहां सभी 18 सुविधाएं ऑनलाइन नहीं हैं। 40 से ज्यादा नगरीय निकाय ऐसे हैं, जिनमें दो या तीन सुविधा नाम के तौर पर शुरू की गई हैं। एेसी पालिका 150 के करीब हैं, जिनमें 6 से 9 सुविधा देने का दावा किया जा रहा है। 

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