भोपाल। हर सफल व्यक्ति के पीछे एक महिला का हाथ होता है। विदिशा मप्र के नोबेल पुरुस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी भी सफलता के पीछे किसका हाथ है यह तो नहीं पता लेकिन यदि आप उन्हे निजी तौर पर जानते हैं कि तो हंसी मजाक में कह सकते हैं कि उनकी सफलता के पीछे उनकी सुहागरात का हाथ है। दरअसल, सुहागरात की रात जब उन्होंने अपनी पत्नी सुमेधा से गाना सुनाने को कहा तो सुमेधा भाभी ने गुनगुना 'भैया मेरे राखी के बंधन को...' अब आप ही बताइए, जिस पुरुष को सुहागरात के अवसर पर पत्नी यह गाना सुना दे, वो नोबेल से कम क्या ला सकता है।
कैलाश सत्यार्थी ने यह प्रसंग खुद सुनाया। वो अमिताभ बच्चन के साथ केबीसी की हॉटसीट पर थे और उनके साथ उनकी धर्मपत्नी भी थीं। इस बीच उन्होंने अपनी जिंदगी और मिशन के कई ऐसे किस्से शेयर किए जो अब तक शायद किसी को पता नहीं थे।
कैलाश ने बताया,‘मेरी शादी के बाद सुहागरात का समय आया। सुहागरात के बारे में मुझे कुछ पता नहीं था कि यह क्या मामला है। मैं जब अंदर कमरे में गया तो बेड पर मेरी पत्नी घूंघट निकालकर एक कोने में बैठी हुई थीं। मुझे नहीं पता था कि मुझे क्या करना चाहिए। इसके बाद मैंने मेरी पत्नी से कहा कि आप बहुत खूबसूरत हैं तो घूंघट में क्यों बैठी हैं। मैंने पहले भी आपको देखा है। लेकिन, मेरी पत्नी ने ऐसा करने से मना कर दिया। इसके बाद मैंने मेरी पत्नी से गाना सुनाने को कहा और उन्होंने मुझे ‘भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना’ गाना गा कर सुनाया। इसके जवाब में मैंने भी गुनगुनाया, ‘तू कितनी अच्छी हो, कितनी सुंदर हो..ओ मां’।
6 नवंबर को केबीसी-9 के ग्रेंड फिलाने एपिसोड का प्रसारित किया गया। इस शो में हॉट सीट पर बालश्रम के विरुद्ध और बाल अधिकारों पर लगातार कैंपेन चलाने वाले मप्र के नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी पत्नी सुमेधा के साथ मौजूद थे।
अमिताभ ने बताया वो कैसे बने बच्चन
गंभीर हो रहे माहौल का लाइट करने के लिए अमिताभ बच्चन ने अपने नाम के साथ लगे 'बच्चन' सरनेम के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि, मेरे पिताजी का सरनेम श्रीवास्तव था। वे जात-पात में विश्वास नहीं करते थे। मुझे बचपन से ही घर से लेकर पड़ोस तक बच्चा-बच्चा कहा जाता था। इसलिए आगे चलकर मेरे पिताजी ने मेरा सरनेम बच्चन रख दिया। इस तरह मेरे परिवार में मैं पहला शख्स हूं, जिसे बच्चन सरनेम मिला।