व्यापमं: लाभ के लपेटे का एक छोर मिला

राकेश दुबे@प्रतिदिन। मध्यप्रदेश में भाजपा खुश है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा भोपाल की विशेष अदालत में पेश किए गए आरोप-पत्र में कहा है कि उसके  द्वारा की गई जांच में हार्ड डिस्क से किसी तरह की छेड़छाड़ होना नहीं पाया गया है। भाजपा इसे बड़ी जीत और कांग्रेस इसे चुनौती मान रही है। अभी नर्मदा परिक्रमा में घूम रहे प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय की याचिका पर यह जाँच हुई थी। इस मामले में कुल 490 अभियुक्त हैं। इनमें तीन व्यापमं के अधिकारी, विभिन्न राजनीतिक दल से जुड़े तीन कारोबारी, 17 दलाल, 297 सॉल्वर और फायदा पाने वाले छात्रों के अलावा 170 छात्रों के परिजन हैं।

सीबीआई ने अदालत में बताया कि उसने तमाम आरोपों की पड़ताल कर पुलिस द्वारा जब्त की गई हार्ड डिस्क का सीएफएसएल से परीक्षण कराया और अन्य जुटाए गए साक्ष्यों का परीक्षण करने के बाद पाया है कि हार्ड डिस्क से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है। सर्वोच्च न्यायालय ने नौ जुलाई 2015 को सीबीआई को व्यापमं घोटाले की जांच के निदेर्श दिए थे। सीबीआई ने जांच कर उन लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया, जिनके खिलाफ इंदौर के राजेंद्र नगर थाने में 2013 में प्रकरण दर्ज किए गए थे। इसमें वे लोग थे जो पीएमटी 2013 की परीक्षा में किसी न किसी तौर पर शामिल थे। यह हार्ड डिस्क इंदौर पुलिस ने बरामद की थी। हार्ड डिस्क के अलावा पेन ड्राइव और एक निजी व्यक्ति की पेन ड्राइव का हैदराबाद की सेंटल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी से परीक्षण कराया गया, जिसमें पाया गया है कि हार्ड डिस्क से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है। वहीं निजी व्यक्ति द्वारा पेश पेन ड्राइव में कई बातें झूठी हैं। वैसे व्यापमं घोटाला एसटीएफ फिर एसआईटी और अब सीबीआई के पास जांच में है। इस प्रकरण से जुड़े 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं दो हजार से ज्यादा लोग जेल जा चुके हैं।

भाजपा इसे अपनी जीत या कांग्रेस की हार कहे, पर इससे यह नहीं छिपता है कि कोई घोटाला नहीं हुआ। मध्यप्रदेश में व्यवसायिक पाठ्यक्रम की प्रवेश परीक्षाओं की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में आ चुकी है। इस मामले में मंत्री तक जेल भेजे जा चुके है। प्रश्न दिग्विजय सिंह के आरोप सही या गलत प्रमाणित होने का नहीं है, ऊँगली तो उन पर भी उठी है, जिनके जिम्मे इस प्रदेश की बागडोर है। मध्यप्रदेश से पास डाक्टरों के कौशल को अन्य राज्य संदेह की दृष्टि से देखते हैं। इस मामले का कोई न्यायपूर्ण और तर्क संगत हल अभी बाकी है। सरकार राजनीतिक दल बन गई है और आरोप लगाने वाले अपने को जाँच एजेंसी और न्यायलय से ऊपर समझ रहे हैं। प्रदेश की साख और छात्रों के भविष्य की किसी को चिंता नहीं है। परेशान वो है जो बिना किसी लाभ के इस लपेटे में हैं। गुत्थी अभी सुलझी नहीं है, जाँच की गति अन्याय की और इसे धकेलती दिख रही है। देर से आये फैसले तो प्रश्न चिन्ह ही बनेंगे। 
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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