नई दिल्ली। अधिकारों को लेकर सरकार और न्यायपालिका में तनाव बढ़ता जा रहा है। यह उस समय और ज्यादा सुर्ख हो गया जब संविधान दिवस के अवसर पर कानून मंत्री ने न्यायपालिका पर हमला किया। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कानून मंत्री को तत्काल जवाब देते हुए मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगा दिया। उन्होंने कहा कि सरकार शक्ति के वर्गीकरण को लेकर सहज नहीं है। कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा, "विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका तीनों एक ही परिवार (संविधान) का हिस्सा हैं। उन्हें एक दूसरे के खिलाफ नहीं, बल्कि एक दूसरे को मजबूत करने के लिए काम करना चाहिए लेकिन, अपने अधिकारों की लड़ाई में इन्हें अपनी हद का भी ध्यान रखना होगा।
संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के बीच तकरार हो गई। ऐसा उस वक्त हुआ, जब पीएम मोदी विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच आपसी तालमेल की बात कर रहे थे। इस दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी मौजूद थे।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह कहा कि न्यायपालिका के हद से आगे बढ़ने के कारण, शक्ति के संतुलन बने रहने पर दबाव है। बगल में बैठे चीफ जस्टिस ने कानून मंत्री के कमेंट का तुरंत जवाब दिया। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि सरकार शक्ति के वर्गीकरण को लेकर सहज नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा, "लोगों के मौलिक अधिकार से समझौता नहीं किया जा सकता। लोगों का अधिकार सर्वोपरि है। संविधान एक सुव्यवस्थित और जीवंत दस्तावेज है। सुप्रीम कोर्ट संवैधानिक संप्रभुता में विश्वास करता है।
मोदी के संबोधन से पहले कानून मंत्री ने ये बयान दिया था। इसका जवाब देते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, "सरकार को किसी मैथेमेटिक्स फॉर्म्युला के आधार पर परिभाषित नहीं किया जा सकता।" उन्होंने कानून मंत्री की इस बात का भी खंडन किया कि न्यायपालिका अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा रही है।